अनुपम राजीव राजवैद्य/रायपुर. नक्सली हिंसा से निपटने के लिए सरकार पूरा जोर लगा रही है। केंद्र सरकार द्वारा मनमोहन सिंह के राज और
नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान छत्तीसगढ़ समेत नक्सल प्रभावित राज्यों में नक्सली हिंसा की घटनाओं की तुलना की गई है। संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन वर्षों की तुलना में छत्तीसगढ़ समेत नक्सल प्रभावित राज्यों में 78 प्रतिशत ज्यादा नक्सलियों को ढेर किया गया है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने राज्यसभा में गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसके मुताबिक जुलाई 2011 से जून 2014 तक 228 नक्सलियों को मुठभेड़ों में मार गिराया गया। इसकी तुलना में जुलाई 2014 से जून 2017 तक हुईं मुठभेड़ों में 406 नक्सलियों को मार गिराया गया, जोकि तुलनात्मक रूप से 78 फीसदी अधिक है।
नक्सली हिंसा में आई 22.25 फीसदी की कमी केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ समेत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पिछले तीन वर्षों के दौरान (जुलाई 2014 से जुलाई 2017) हिंसा की घटनाओं में उसके पहले के तीन वर्षों (जुलाई 2011 से जून 2014) की तुलना में 22.25 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2011-14 के दौरान 3999 नक्सली हिंसा की घटनाएं हुई थीं। वहीं वर्ष 2014-17 के दौरान नक्सली हिंसा की 3109 घटनाएं हुईं।
नक्सली हमले में शहीद जवान को सेना के समान मुआवजा नहीं! छत्तीसगढ़ समेत नक्सल प्रभावित राज्यों में अर्धसैनिक बल का कोई जवान अगर नक्सली हमले में शहीद होता है तो उसे सेना के समान मुआवजा नहीं दिया जा सकता है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि नक्सली या आतंकवादी हमले में शहीद होने वाले सेना और अर्धसैनिक बल के जवानों के परिजनों को मिलने वाले मुआवजे की एक-दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू के मुताबिक अर्धसैनिक बल व सेना के सेवा नियमों में भिन्नता है।
दोनों में तुलना नहीं राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर द्वारा आतंकवादी या नक्सली हमलों में सेना और केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवानों के शहीद होने पर एकसमान दर्जा और सुविधाएं देने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री रिजिजू ने कहा कि सेना और अर्धसैनिक बल की एक-दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती है।
शहीदों के परिजनों को मिलने वाली सुविधाएं अलग-अलग केंद्रीय मंत्री रिजिजू द्वारा राज्यसभा में दिए गए जवाब के मुताबिक सेना और केंद्रीय अर्धसैनिक बल में सेवानिवृत्ति की आयु और सेवा नियमों आदि में भिन्नता है। इसके कारण इन शहीदों के परिजनों को मिलने वाली सुविधाएं भी अलग-अलग हैं। ड्यूटी के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और असम राइफल्स के जवानों के परिजनों को अनुग्रह राशि, पारिवारिक पेंशन, निकटतम परिजन को अनुकंपा पर नियुक्ति और बच्चों को छात्रवृत्ति आदि लाभ दिए जाते हैं। इसी तरह सेना के जवानों के लिए अलग नियम हैं।