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इस मंदिर में सालों से निकल रहा नागों का जोड़ा, जानिए क्या है रहस्य

locationरायपुरPublished: Feb 12, 2016 03:22:00 pm

मां बंजारी मंदिर पुरातन काल की है। इस मंदिर की खास बात यह है कि पुरातन काल में सुपाड़ी आकार की स्थापित मां की प्रतिमा प्रतिवर्ष बढ़ रही है

raipur temple

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चंदू निर्मलकर. रायपुर. प्रसिद्ध देवी मंदिरों में से एक मां बंजारी मंदिर अनोखा रहस्य और लोगों की गहरी आस्था से जुड़ी हुई है। मन की मनौती के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दरबार में आते हैं। सच्चे मन से मां की आरधना करने से मां उनकी झोली खुशियों से भर देती है। शहर के पं. रविशंकर विश्वविद्यालय के मैदान में स्थित मां बंजारी मंदिर पुरातन काल की है। इस मंदिर की खास बात यह है कि पुरातन काल में सुपाड़ी आकार की स्थापित मां की प्रतिमा प्रतिवर्ष बढ़ रही है।

बैगाओं के स्वप्न में आए थे माता
मंदिर के आचार्य भगवान तिवारी बताते हैं कि पुरातन काल में मां बंजारी यहां रहने वाले बैगाओं और ग्रामीणों के स्वप्न में आए थे। स्वप्न में मां ने गांव की भिरहा मिट्टी और झाडिय़ों के नीचे माता की मूर्ति होने की बात बताई थी। ग्रामीणों ने स्वप्न के अनुसार उक्त स्थान को साफ-सफाई करने पर सुपाड़ी में तिलक लगी मां की छोटी प्रतिमा में दिखाई दी। इसके बाद लोगों ने पूरे विधि-विधान से उस स्थान पर माता की सुपाड़ी नुमा प्रतिमा स्थापित की। तब से लेकर आज तक लोग माता के दर्शन करने यहां आते हैं।
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श्रद्धालुओं के अलावा नाग-नागिन का जोड़ा भी आते हैं आशीर्वाद लेने
मां बंजारी के दरबार में मन की मनौती के लिए केवल श्रद्धालु ही नहीं। मां से आशीर्वाद लेने के लिए नाग-नागिन का जोड़ा भी यहां आते हैं। मंदिर के आचायज़् बताते हैं कि बचपन से ही अपने पिता स्व. किरतराम तिवारी के साथ मंदिर की देखरेख कर रहा हूं। जिस तरह लोग अपनी मन की मुराद पाने के लिए यहां आते हैं। उसी तरह नाग-नागिन का जोड़ा भी माता से आशीवाज़्द लेने आते हैं। आगे बताते हैं कि पहले केवल एक दो जोड़े ही आते थे, अब धीर-धीरे उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है।

बंजारा जातियों की कुल देवी
पंडित रविशंकर शुल्क विश्वविद्यालय के मैदान में स्थित मां बंजारी माता मंदिर बंजारा जातियों की कुल देवी है। मंदिर के आचार्य बताते हैं कि बंजारा समुदाय के लोग माता की विशेष पूजा करते हैं। इन्हीं समुदाय के लोगों ने माता की प्रतिमा स्थापित के बाद इनका नाम मां बंजारी पड़ा।
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