scriptट्रांसमिशन सुधारने पॉवर कम्पनी ने मांगा 3500 करोड़, मिला केवल 750 करोड़ | Raipur: Power company demands Rs 3500 cr to improve transmission, but get only Rs 750 cr | Patrika News
रायपुर

ट्रांसमिशन सुधारने पॉवर कम्पनी ने मांगा 3500 करोड़, मिला केवल 750 करोड़

पावर कंपनी ने पावर ट्रांसमिशन के लिए ओएफसी (ऑप्टिकल फाइबर केबल) बिछाने
के लिए जो कार्ययोजना और डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार की थी, वह
बजट की कमी के कारण लटक गई है

रायपुरApr 29, 2016 / 11:36 am

चंदू निर्मलकर

Power Company

Power Company

रायपुर. लगातार दो सालों की कवायदों के बाद पावर कंपनी ने पावर ट्रांसमिशन के लिए ओएफसी (ऑप्टिकल फाइबर केबल) बिछाने के लिए जो कार्ययोजना और डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार की थी, वह बजट की कमी के कारण लटक गई है। इसके लिए योजना बनाते समय विद्युत कंपनी ने टैरिफ से उम्मीद की थी, लेकिन राज्य विद्युत नियामक आयोग ने टैरिफ पीटिशन की सुनवाई के बाद इसके लिए निर्धारित कुल बजट लगभग 3500 करोड़ मेंं से केवल 750 करोड़ को ही इस साल मान्य किया। बिजली कंपनी का कहना है कि ट्रांसमिशन की अधोसंरचना के लिए एकमुश्त बड़ी राशि की जरूरत पड़ेगी, इसलिए अब सरकार से अतिरिक्त राशि की मांग करेंगे।

इससे यह होता लाभ
पावर ट्रांसमिशन के लिए ओएफसी लगाए जाने के बाद प्रदेश में लाइन लॉस और बिजली चोरी की स्थाई और बड़ी समस्याएं दूर हो जाएंगी। प्रदेश की आम जनता पर बिजली बिल का जो वार्षिक भार पड़ता है, उसकी पांच फीसदी राशि लाइन लॉस और बिजली चोरी के कारण बढ़ती है। औसतन यह राशि 700 करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है। एेसा पिछले कई सालों से चल रहा है। अगर ओएफसी लग जाएगा, तो न केवल लोगों को इस भार से मुक्ति मिलेगी, बल्कि बिजली आपूर्ति भी निर्बाध हो जाएगी।

अब क्या करेगी कंपनी
विद्युत कंपनी के सूत्रों का कहना है कि अब अतिरिक्त राशि की मांग सरकार से करेंगे। अगर सरकार से राशि मिलती है, तो काम आगे बढ़ेगा, अन्यथा इसके लिए लोन लेने की मांग भी सरकार से करेंगे। दोनों में से जिस विकल्प में भी सरकार की अनुमति होगी, उसके हिसाब से काम आगे बढ़ाया जाएगा।

टैरिफ का रोड़ा
विद्युत नियामक आयोग का तर्क है कि अगर एकमुश्त 3500 करोड़ रुपए की राशि को टैरिफ में जोड़कर इन्फ्रास्ट्रक्चर विस्तार करेंगे, तो इतनी राशि से प्रदेश के उपभोक्ताओं को मौजूदा दर से कम से कम चार गुना ज्यादा बिजली बिल देना होगा। टैरिफ में इतनी बढ़ोत्तरी नहीं की जा सकती। इसलिए बडे़ राजस्व को किस्तों में एकत्र करने के विकल्प के तौर पर आयोग ने यह व्यवस्था दी है।

बिजली की व्यवस्था को दुुरुस्त करने के लिए यह योजना सीआईपी (कैपिटन इन्वेस्टमेंंट प्लान) के तहत ही बनाई गई थी। अभी यह जिस स्थिति में है, तो उसे फेल नहीं कहा जा सकता। अभी उसको आगे बढ़ाने के लिए हमारे पास कई विकल्प मौजूद हैं।
अंकित आनंद, एमडी, पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो