कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा स्किन पैच बनाया है, जो पसीने की मदद से एक रेडियो को 2 दिनों तक के लिए चार्ज कर सकेगा।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा स्किन पैच बनाया है, जो पसीने की मदद से एक रेडियो को 2 दिनों तक के लिए चार्ज कर सकेगा। मोबाइल चार्ज करने में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। यह बायो फ्यूल पैच डायबिटीज से पीडि़त लोगों के ग्लूकोज लेवल को भी मॉनिटर करेगा। इस स्किन पैच में एंजाइम्स होंगे जो पसीने की मदद से पावर देंगे। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के जोसफ वैंग ने बताया कि इस स्किन पैच से बेहतर पावर लेवल देखने को मिल रहा है। अगर आप दौड़ते रहेंगे तब भी यह डिवाइसमोबाइल फोन को चार्ज करने की क्षमता रखता है। स्किन पैच में पावर देने के लिए पसीने में पाए जाने वाले लैक्टिक एसिड का इस्तेमाल किया गया है।
खुद चार्ज हो जाएगा चार्जर
मैकगिल यूनिवर्सिटी कनाडा के प्रोफेसर जॉर्ज पी डेमोपोलोस के नेतृत्व में एक पोर्टेबल सोलर चार्जर डवलप किया गया है, जो सौर ऊर्जा से खुद चार्ज हो जाता है। पर सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसका आकार बड़ा है। छोटा बनाने में मुश्किल आ रही है। इसे दूर करने के इस हाइड्रो-क्यूबेक शोध से जुड़े रिसर्चर्स अब केवल एक ही डिवाइस चार्ज करने लायक बिजली देने वाला चार्जर बनाने पर काम कर रहे हैं।
महीनों चार्ज करने की नहीं होगी चिंता
अमरीका के मिशिगन और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने एक ऐसा नया धातु तैयार किया है, जिससे प्रोसेसर 100 गुना कम ऊर्जा की खपत करेगा। मैग्नेटो इलेक्ट्रिक मल्टीफेरिक नामक यह धातु परमाणुओं की पतली परत का निर्माण करता है, जो चुंबकीय ध्रुवीय फिल्म बनाता है। शोधार्थी इस सिद्धांत का उपयोग बाइनरी कोड 1 व 0 भेजने के लिए कर रहे हैं, जिस पर कम्प्यूटर काम करता है। आसान भाषा में वे बिजली के केवल एक छोटे से हिस्से का उपयोग कर डेटा रिसीव और सेंड कर रहे हैं, जबकि मौजूदा प्रोसेसर सेमी कंडक्टर बेस्ड सिस्टम से बनते हैं, जिन्हें लगातार करंट फ्लो की जरूरत होती है। मैग्नेटोइलेक्ट्रिक मल्टीफेरिक्स सिस्टम का उपयोग कर बनाए जाने वाले प्रोसेसर को बिजली के कम पल्स की जरूरत होगी। इससे कम ऊर्जा का उपयोग लंबे समय तक किया जा सकेगा।