राजकुमार सोनी/रायपुर. तलाकशुदा महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही रायपुर की शिक्षिका तस्कीन खान कहती हैं, कुरान तीन तलाक की इजाजत तो देता है। साथ ही उसमें यह भी साफतौर पर लिखा गया है, ‘ये न हो कि जाहिलों की तरह तीन तलाक दिया जाए।’ वे कहती हैं, कुरान में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा गया है कि कागज के पुर्जे में तीन बार तलाक लिखकर कहीं फेंक देने से भी तलाक हो सकता है। मगर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मानता है कि अगर पति ने कह दिया तो कह दिया।
उन्होंने कहा, कुरान में कहां लिखा है, वॉट्सएप पर तीन बार तलाक लिखकर भेज देने से तलाक हो जाता है। उनका सवाल है, शरियत में लिखा है, शौहर घर से सब्जी लेने भी बाहर जाएगा तो बीवी से इजाजत लेगा तो फिर तलाक जैसी बात के लिए औरत की मर्जी क्यों नहीं ली जाती।
बोर्ड का रवैया स्त्री विरोधी
तलाक का दंश झेल चुकी तस्कीन कहती हैं, जब पुरुष को कोई महिला पसंद आ जाती है और वह तलाक लेना चाहता है तो मुस्लिम लॉ बोर्ड पुरुष के साथ खड़ा दिखाई देता है। अब जब यूनिफार्म सिविल कोड पर बात चल रही है तो बोर्ड के सदस्यों को लग रहा है, उनकी गद्दी हिलने वाली है। तस्कीन कहती हैं, वे धर्म के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन कुप्रथाएं किसी भी धर्म से जुड़ी हों, उसके खात्मे की पक्षधर हैं। वे कहती हैं, हिन्दू धर्म में बाल विवाह और सती प्रथा थीं, लेकिन बदलते वक्त के साथ ये प्रथाएं खत्म हो गईं।
महिलाओं को कर रही हैं जागरूक
तस्कीन छह साल से रायपुर के आसपास के ग्रामीणों को स्वच्छता, बेटी बचाने, साक्षर करने और बीमारियों से बचाने के लिए जागरूक कर रही हैं। उनके प्रयासों से 5 हजार की आबादी वाले गांव की 90 फीसदी महिलाएं साक्षर हो गई हैं। इस दौरान वह तलाकशुदा महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए अलख जगा रही हैं।