शिक्षा का अधिकार कानून में बदलाव के बाद अब पहली से आठवीं तक बच्चों को पढ़ाने के घंटे तय कर दिए गए हैं
रायपुर. शिक्षा का अधिकार कानून में बदलाव के बाद अब पहली से आठवीं तक बच्चों को पढ़ाने के घंटे तय कर दिए गए हैं। इससे प्रदेश के निजी स्कूलों पर लगाम कसने की बड़ी कवायद मानी जा रही है। हालांकि, कानून में सिर्फ दंड की बात कही गई है, लेकिन यह किस स्तर का होगा, यह नहीं बताया गया है। इससे सरकार की मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
हाल ही में राज्य सरकार ने
शिक्षा का अधिकार कानून में सात महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इसमें एक बदलाव स्कूल लगने का दिन और बच्चों की पढ़ाई के घंटे तय करना भी है। यहां नियम शासकीय और निजी स्कूलों में लागू होगा।
लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर निजी स्कूलों पर पड़ेगा, क्योंकि अधिकतर स्कूल कमाई के चक्कर में दो पालियों में स्कूल का संचालन कर रहे हैं। एेसे में कानून के तहत तय समय को पूरा करना मुश्किल होगा। गौरतलब है कि
छत्तीसगढ़ में पहले ही पढ़ाई के दिन और घंटे तय किए गए थे, लेकिन इसके दायरे में निजी स्कूलों को नहीं लाया गया था। इसके बाद सरकार ने कानून में बदलाव करते हुए निजी स्कूलों को भी इसके दायरे में कर दिया है।
इसलिए जरूरी कानून के तहत बच्चों का समुचित विकास करना जरूरी है। इसे देखते हुए
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने समय बढ़ाने की अनुशंसा की थी। अधिकतर स्कूल दो पालियों में संचालित होते हैं। एेसे में वे केवल सप्ताह में 34 घंटे ही पढ़ाई करवा पाते हैं। अब उन्हें सप्ताह में करीब 48 घंटे की पढ़ाई करवानी होगी।
यह पड़ेगा प्रभाव कानून का कड़ाई से पालन होने पर निजी स्कूलों को स्कूल संचालन का समय बदलना होगा। साथ ही शिक्षकों को अतिरिक्त समय देना होगा।
इतने घंटे पढ़ाना अनिवार्य पहली से पांचवीं तक : 200 कार्य दिवस और 800 शिक्षण घंटे
छठवीं से आठवीं तक : 220 कार्य दिवस और 1000 शिक्षण घंटे
कानून में बदलाव किया गया है। इसका सभी को पालन करना होगा। शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कार्य दिवस और शिक्षण घंटे तय किए गए हैं।
आशुतोष चावरे, डीईओ, रायपुर (राहुल जैन)