उदयपुरा. नर्मदा तट बोरास पर लगभग 50 एकड़ में रेत खदान की लीज देने की तैयारी प्रशासन द्वारा की जा रही है। जिसका विरोध होना शुरू हो गया है।
उदयपुरा. नर्मदा तट बोरास पर लगभग 50 एकड़ में रेत खदान की लीज देने की तैयारी प्रशासन द्वारा की जा रही है। जिसका विरोध होना शुरू हो गया है। लीज देने में नियमानुसार कार्रवाई किए बगैर प्रशासनिक तैयारियों को देखते हुए ग्रामीण और नर्मदा से विभिन्न तरीकों से जुड़े लोग और संगठन विरोध में उतरने की तैयारी करने लगे हैं। सोमवार को बोरास तट पहुंचे राजस्व अधिकारियों ने लीज के लिए जगह का निरीक्षण किया तो वहीं पहुंचे ग्रामीणों ने भी लीज के विरोध में अपना बात रखी।
लोगों का कहना है कि बोरास तट पर अब रेत खदान के लिए न तो जगह है और न ही इतनी रेत है। यदि इस स्थिति में लीज दी जाती है तो बोरास तट का स्वरूप बिगड़ जाएगा।यहां गड्ढे और खाईयां बना दी जाएंगी, जो स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खतरनॉक साबित होंगी। अब बोरास तट पर खदान की लीज इस तट के प्रति श्रद्धालुओं की श्रद्धा और इतिहास के साथ ज्यादिती होगी। निरीक्षण करने पहुंचे तहसीलदार शक्ति सिंह चौहान, मायनिंग इंस्पेक्टर रीना पाठक ने आरआई सुशील सिंह, पटवारी चन्द्रभान सिलावट के साथ मौका मुआयना किया। ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों से चर्चा की। पंचनामा और रिपोर्ट बनाकर कलेक्टर के पास भेजी है।
इसलिए है लीज का विरोध ग्रामीणों का कहना है कि बौरास नर्मदा तट पर साल में दो बार बड़े मेला लगते हैं। इसके अलावा प्रत्येक अमावस्या पर यहां हजारों श्रद्धालु स्नान के लिए आते हैं। तट पर पहले दी गई खदानो के कारण रेत बहुत कम हो गई है।जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं। और खदान देने पर अब बड़े गड्ढे बन जाएंगे। जो श्रद्धालुओं के लिए खतरे का कारण बनेंगे। बौरास तट विलीनीकरण आंदोलन के दौरान हुई गोलीबारी के चलते एतिहासिक स्थल हैं, यहां पांच युवक शहीद हुए थे। हर साल 14 जनवरी को यहां बड़ा मेला लगता है। इसमें प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी शामिल होते हैं।
तीन जिलों से आते हैं श्रद्धालु बौरस तट तीन जिलों की सीमा पर है। रायसेन के अलावा यहां नरसिंहपुर और होशंगाबाद जिले से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। बौरास के वरिष्ठ नागरिक गोविन्द सिंह फरैया, रेवा भक्त मंडल के अध्यक्ष गोविन्द सिंह रघुवंशी ने बताया कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध जगह ही कम पड़ती है। ऐसे में रेत खदान होना एक नईपरेशानी खड़ी करेगा।
तो करेंगे आंदोलन लोगों का कहना है कि जनभावना और नियमो को ताक में रखकर यदि बोरास तट पर रेत खदान दी जाती है तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगें।बौरा तट पर रेत खदान के लिए नियमानुसार ग्राम पंचायत और ग्राम सभा का प्रस्ताव नहीं लिया गया है। इस औपचारिकता के बिना लीज देना गलत होगा।