दुग्ध चिलिंग सेंटर पर दूध को नापने के लिए यंत्र तो है, लेकिन मिलावट दूध जांचने का कोई यंत्र नहीं
राजगढ़. जिले में पथरीले क्षेत्र में जहां दुग्ध पशुओं की कमी होने के बाद भी यहां दूध का उत्पादन हर साल बढ़ता ही जा रहा हैं। कई बार दूध के निर्माण को लेकर सवाल भी उठे, लेकिन स्थानीय स्तर पर दूध का पैमाना या फिर दूध असली है या नकली हैं। इसको लेकर जांच यंत्र तक नहीं हैं। ऐसे में पानी की मिलावट हो या फिर दूध की मिलावटी, दूध बेचने से कोई परहेज नहीं कर रहा।
हालांकि इन जांच यंत्रों या फिर जांच नहीं होने के कारण आम उपभोक्ता इसी दूध को पीने के लिए मजबूर हैं। यहां कई दुग्ध समितियां ऐसी है, जिनके आसपास दुग्ध पशुओं की तो कमी है, लेकिन उन समितियों द्वारा ना सिर्फ राजगढ़, बल्कि ब्यावरा और देवास तक दूध बेचा जा रहा हैं। शहर के सरकारी दुग्ध चिलिंग सेंटर पर दूध को नापने के लिए फेट और सीएलआर नापने के लिए तो यंत्र है, लेकिन मौके पर ही दूध में क्या-क्या मिलावट की गई है, इसे जांचने के लिए कोई मशीन नहीं हैं। हालांकि सरकारी डेरी का दूध भोपाल में भी चेक होता हैं, लेकिन जो निजी डेरियां संचालित हो रही है, उनका दूध सीधे उपभोक्ताओं के घर तक पहुंच जाता हैं। जिसकी जांच कोई नहीं करता। गाय सड़कों पर है और जिले में भैंसों की तादाद उतनी नहीं हैं। फिर भी करीब एक लाख लीटर दूध जिले से प्रतिदिन निर्यात किया जाता हैं। वही जिले में भी इसका विक्रय लाखों लीटर होता हैं। फिर भी कोई इस दूध के बढ़ते उत्पादन की तरफ ध्यान नहीं दे रहा। सूत्र बताते है कि अभी जिले में कई जगह केमिकल से दूध का निर्माण हो रहा हैं। जो निजी डेरियों के साथ ही इसका कुछ हिस्सा सरकारी डेरी पर तक भेजा जाता हैं। जिसे कई बार डेरी संचालकों द्वारा मिलावटी दूध को पकड़ा भी गया हैं, लेकिन कोई कार्रवाई की बजाय उस दूध को संबंधित दुग्ध समिति को वापस कर दिया जाता हैं।
खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा दूध का पिछले दिनों एक सैंपल लिया गया था। जिसे जांच के लिए जब भोपाल लैब भेजा गया, तो उसमें फेट 9 प्रतिशत से अधिक था, जो मालवा क्षेत्र की किसी भी गाय या भैंस में नहीं होता। वही सीएलआर की बात करें, तो वह भी साढ़े आठ से कम था। ऐसे में यह मामला एडीएम कोर्ट में विचारधीन हैं।
जिले में मिलावटी सामग्री की मॉनीटरिंग करने के लिए पांच खाद्य निरीक्षक के पद है, लेकिन यहां सिर्फ दो ही निरीक्षक काम कर रहे हैं। यह भी अधिकांश समय जिले से बाहर रहते हैं। ऐसे में मिलावट खोरों के हौंसले बुलंद हो रहे हैं।