मंगलवार को भले ही बारिश न हो रही हो, लेकिन भवन गंदा न हो। इसके लिए जनसुनवाई में आने वाले सभी आवेदकों के जूते-चप्पल कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर उतरवाए जा रहे थे। हालांकि यह नियम कलेक्ट्रेट के कर्मचारी या
राजगढ़. मंगलवार को भले ही बारिश न हो रही हो, लेकिन भवन गंदा न हो। इसके लिए जनसुनवाई में आने वाले सभी आवेदकों के जूते-चप्पल कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर उतरवाए जा रहे थे। हालांकि यह नियम कलेक्ट्रेट के कर्मचारी या फिर अधिकारी पर लागू नहीं था। सो वे न सिर्फ पूरे परिसर में बल्कि जनसुनवाई कक्ष में भी टिपटाप बैठे हुए थे।
हर मंगलवार की तरह इस बार भी अपनी मांगों को लेकर कई आवेदक कलेक्ट्रेट पहुंचे। जैसे ही आवेदक अंदर जाने का प्रयास कर रहे थे। गेट पर खड़े सुरक्षाकर्मी उन्हें रोककर जूते-चप्पल उतरवा रहे थे। पूछने पर बताया कि कीचड़ भरे जूते-चप्पल पहनकर आने से भवन गंदा हो जाता है। इसलिए अधिकारियों के निर्देशों पर ही यह कार्रवाई की जा रही है।
हालांकि इस बार जिस समय जनसुनवाई चल रही थी। उस समय न तो बारिश हो रही थी और न ही परिसर में फर्स बिछाए गए थे। जरा सी जगह में कारपेट की दो सीट जरूर बिछा रखी थी।
नंगे पैर ही लाइन में लगे आवेदक
भवन के अंदर 90 प्रतिशत आवेदक नंगे पैर थे। फिर चाहे वे पुरुष हो या महिलाएं या फिर बच्चे। सभी के जूते-चप्पल उतरवाने के कारण वे लाइन में भी नंगे पैर ही लगे थे, लेकिन जब उन्होंने जनसुनवाई में बैठे कुछ अधिकारी कर्मचारियों को जूते पहने देखा तो दबी जुबान से अपना विरोध भी जाहिर किया, लेकिन डर के मारे कोई खुलकर नहीं बोला। क्योंकि जनसुनवाई में वे अपनी फरियाद लेकर पहुंचे थे।
नो पार्किंग भी सिर्फ आम लोगों के लिए
आईएसओ अवार्ड मिलने के बाद कलेक्ट्रेट में व्यवस्थित यातायात बनाने के लिए कई जगह नौ पार्किंग स्थल बनाए गए, लेकिन इन पर आम आदमी तो अमल करता है, लेकिन जिनके पास नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी है। वे अधिकारी ही वाहनों को नो पार्किंग में खड़ा करते है।
इस बार यह व्यवस्था शुरू की गई है। सुधार की गुंजाइश हमेशा रह जाती है। अगली बार और सख्ती से अमल कराया जाएगा। इससे सभी को सुविधा होगी।
राजेश जैन, एडीएम राजगढ़