हर को खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य अभी 10 फीसदी भी पूरा नहीं हुआ और सार्वजनिक शौचालयों ने शहर की सूरत बिगाड़ रखी है। विभिन्न
ब्यावरा. शहर को खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य अभी 10 फीसदी भी पूरा नहीं हुआ और सार्वजनिक शौचालयों ने शहर की सूरत बिगाड़ रखी है। विभिन्न मोहल्लों, गलियों सहित अन्य सार्वजनिक स्थलों पर बने शौचालयों की स्थिति खराब है।
सार्वजनिक तौर पर बनाए गए शौचालयों में कहीं शराब की बोतल, पन्नियां और गंदे कपड़े पड़े हैं तो कहीं शौचालय चौक हैं। नियमति सफाई तो दूर वहां की देखरेख भी नपा प्रबंधन द्वारा नहीं की जाती।
ऐसे में उन्हीं शौचालयों पर निर्भर शहरी क्षेत्र की जनता खुले में शौच करने को मजबूर है। सफाईकर्मियों द्वारा यदा-कदा सफाई कर भी दी जाती है तो नशे में धुत लोग और अन्य असामाजिक तत्व उसकी दशा बिगाड़ देते हैं। ऐसे में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शहीद कॉलोनी स्थित शौचालय : शौचालय के अंदर गंदगी और बदबू इतनी की बगल में भी नहीं निकल सकते। शहीद कॉलोनी सहित बिजली कंपनी के कार्यालय के आस-पास के लोगों के लिए उपयोगी, लेकिन किसी काम के नहीं।
वार्ड-13 शनि मार्ग स्थित शौचालय : वार्ड-13 के शनि मंदिर मार्ग के शौचालय के बुरे हाल हैं। सफाई के अभाव में उपयोग करने के भी लायक उक्त शौचालय नहीं है। बदबू और गंदगी के आस-पास के रहवासी भी खासे परेशान हैं।
मुल्तानपुरा स्थित शौचालय : सार्वजनिक तौर पर बनाए गए शौचालय में सिर्फ यूरेनल का ही उपयोग हो पा रहा है। सफाई के अभाव में शौचालय उपयोग करने की स्थिति में नहीं है। आइडियल कॉन्वेंट स्कूल के रास्ते में बने शौचालय की हालत बेहत खराब है।
जनपद के पास स्थित शौचालय : पुरानी तहसील रोड और जनपद कार्यालय के पीछे बने सार्वजनिक शौचालय से पूरी कॉलोनी के रहवासी परेशान हैं। कई बार शिकायत के बावजूद उसकी देखरेख तक ढंग से नहीं की जाती।
बस स्टैंड पर खुले में शौच : बस स्टैंड के बगल में बने यूरेनल के आस-पास गंदगी जमा है। लंबे समय से उसकी सफाई नहीं हो पाई है।