राजगढ़. मोहनपुरा वृहद सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाले गांव का सर्वे भले ही कई तरीकों से किया जा चुका हो, लेकिन अभी भी डूब में आ रहे गांव में कई तरह की अनियमिताएं है।
इसके कारण ग्रामीण कभी जल संसाधन तो कभी एसडीएम कार्यालय के चक्कर लगाते रहते है। मामला राजलीबे गांव का है। जहां के ग्रामीण अपनी समस्या को लेकर बुधवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। जहां उन्होंने एसडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए न्याय की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि राजलीबे गांव को शुरू से डूब में माना जा रहा है। इसके लिए सभी की अधिसूचना, नोटिस जारी किए गए और तो और हमसे भी अनापत्ति पत्र भरवा लिया, लेकिन हाल ही में बताया जा रहा है कि गांव के सिर्फ चार घर डूब में है।
जबकि पूर्व में पूरे गांव को डूब में बताया जा रहा है। ऐसे में कई लोग तो गांव छोड़कर दूसरी जगह रहने लगे है। इस आस में कि उन्हें मुआवजा मिलेगा। ग्रामीणों का आरोप है कि राजलीबे गांव डूब में आ रहा है, लेकिन जो सेटेलाइट सर्वे किया गया है उसमें गांव ऊंचाई पर होने के कारण उसे डूब में नहीं लिया जा रहा है। जबकि गांव के चारों तरफ पानी रहेगा। बारिश के दिनों में यह समस्या और भी विकराल रहेगी। गांव को डूब क्षेत्र में बताते हुए बैंकों में भी इसकी सूचना दे दी गई। जिसके कारण ग्रामीणों को न तो केसीसी मिली और न ही पंचायत द्वारा कोई काम कराए जा रहे है। क्योंकि आने वाले दिनों में यह डूब में जाएगा। एकाएक इस आदेश के बाद ग्रामीण सदमे में है। कि यह कैसे संभव है। ज्ञापन देने वालों में जिला पंचायत सदस्य बापूसिंह तंवर के अलावा गांव के कई लोग मौजूद थे।