आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के लोगों ने नहीं सुनी ट्रेन की आवाज
राजनंदगांवPublished: Jan 18, 2017 10:05:00 pm
जिले की आदिवासी बाहुल्य आबादी आजादी के इतने सालों बाद भी रेलवे लाइन की सुविधा को तरस रही है।
The tribal area of the people not heard the sound of the train
राजनांदगांव/डोंगरगांव. जिले की आदिवासी बाहुल्य आबादी आजादी के इतने सालों बाद भी रेलवे लाइन की सुविधा को तरस रही है। डोंगरगांव, अंबागढ़ चौकी, मोहला, मानपुर जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के रहवासियों को अब तक सिर्फ रेल लाइन की सुविधा देने आश्वासन ही मिलता रहा है। खनिज संपदा से परिपूर्ण इस क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं।
पिछड़ापन दूर होगा
रेल परिवहन की सुविधा मिल जाने से आदिवासियों के हाथों में रोजगार होगा, भटकाव की स्थिति नहीं होगी। रेल लाइन की सुविधा के साथ जिला मुख्यालय और दूसरे राज्यों से जुडऩे से पिछड़ापन दूर होगा, जहां भारत आज बुलेट ट्रेन की सवारी के लिए अग्रसर है। वहीं इन आदिवासी क्षेत्र के लोग आज भी ट्रेन की बाट जोह रहे हैं। यह विरोधाभास है।
पगडंडियों के सहारे जीवन की डोर
आदिवासी जंगल में पगडंडियों के सहारे जीवन की डोर खींचे जा रहे हैं। साल में एक-दो बार किसी काम से जिला मुख्यालय पहुंच जाते हैं, तो लगता है कि वे किसी बड़े शहर में आ गए हैं। उनके लिए डोंगरगांव, चौकी जैसे कस्बा किसी शहर से कम नहीं है। इन कस्बों में सीमित साधन है, जो कि पिछड़ापन दूर करने के लिए काफी नहीं है।
अन्य राज्यों के लोगों को भी इसका फायदा
यदि रेल सुविधा को मंजूरी मिल जाती है, तो इस क्षेत्र के सााथ-साथ अन्य राज्यों के लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा। यही नहीं व्यवसायिक दृष्टि से देखा जाए तो महाराष्ट्र से लेकर तेलंगाना, आंध्रप्रदेश के राज्यों से आने वाले लोगों को लगभग पांच सौ किमी तक की अधिक दूरी तय करनी पड़ती है, जो इस रास्ते से कम हो जाएगी। इसके साथ ही दूरी कम होने से माल भाड़ा भी कम होगा, जिससे महंगाई में कमी होगी।
रेलवे को होगा फायदा
वनांचल में खनिज संपदा की भरमार है। रेल परिवहन की सुविधा होने से इनके आयात-निर्यात में सुविधा होगी। नए माइंस खुलेंगे। क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार की राह तैयार होगी। रेलवे की ओर किए गए सर्वे में रेल कारिडोर के लिए स्थल चयन किया गया था। आयरन ओर, यूरेनियम वाले क्षेत्र से रेल की पटरियां गुजारी जा सकती हैं। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र के लिए यह सबसे निम्रतम दूरी का रूट हो सकता है।
लोगों को स्वीकृति का बेसब्री से है इंतजार
कम दूरी और सूपर कनेक्टीविटी के अंतर्गत छत्तीसगढ़ की इस सीमा का तेलंगाना व महाराष्ट्र राज्यों का मिलन है। राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) चंदपुर (महाराष्ट्र) रेल रूट व्यवसायिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण होगा। भारी माल वाहक वाहनों के साथ-साथ यात्री वाहन भी इस क्षेत्र के सड़क मार्गों पर चलते हैं। इसलिए रेल मार्ग के प्रस्तावित रूट का लोगों ने दिल खोल कर समर्थन किया है और स्वीकृति का बेसब्री से इंतजार है।
रेल बजट में मंत्री ने किया था जिक्र
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के साथ-साथ भौगोलिक दृष्टिकोण से भी यह क्षेत्र जिले में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। खनिज संसाधनों के साथ वनोपज और आमदरत के लिए विकास की मांग कर रहे लोग लंबे समय से रेल सुविधा चाहते हैं। राजनांदगांव से चंद्रपुर तक की इस लाइन में क्षेत्र के सभी प्रमुख ब्लाकों को पूरी सुविधा मिलेगी। रेल बजट में इस बात का भी जिक्र किया गया था। इसके बाद क्षेत्र के लोगों में आस बढ़ गई थी।
अब तक ठोस पहल नहीं
राजनांदगांव से डोंगरगांव, चौकी, मोहला, मानपुर से लेकर चंद्रपुर तक 271 किमी नई रेल लाइन के लिए रेलवे बजट 2012-13 में तत्कालीन रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने 14 मार्च 2012 को संसद में प्रस्तुत रेल बजट में इस मार्ग के सर्वे के लिए बजट का प्रावधान रखा था और 27 जून 2013 को 30 लाख रुपए की लागत से इस मार्ग के सर्वे का टेंडर कॉल किया गया। नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से इस क्षेत्र में विकास के नाम पर रेल लाइन की यह मांग दशकों पुरानी है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर निर्वाचित विधायक एवं सांसद समय-समय पर इसका समर्थन करते रहे हैं, लेकिन ठोस पहल नहीं कर पाए।