रतलाम. राजस्थान हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद चर्चाओं में आए मास्टर प्लान को रतलाम का हर वर्ग अमल में चाहता है। दरअसल, शहर में तंग गलियों, संकरे बाजार और बिना पार्किग के व्यावसायिक भवनों के कारण आम तबका परेशान है। राजनीतिक दबाव और इच्छाशक्ति के अभाव के कारण मास्टर प्लान पर अमल नहीं हो पा रहा है। ऐसे में प्रबुद्ध वर्ग चाहता है कि मास्टर प्लान के तहत ही अनुमतियां दी जाए। शासन के निर्देश के तहत 1990 में ही मास्टर प्लान लागू कर दिया गया था, लेकिन इसमें बार बार संशोधन किए जाते रहे और अमल में लाने की कोशिश नहीं की गई। पहले वर्ष 2000 और इसके बाद 2011-12 में संशोधनों का हवाला दिया गया। आखिरकार 2013 से नगर एवं ग्राम निवेश ने मास्टर प्लान पर काम शुरू किया है, लेकिन अब भी निर्माण अनुमति और पार्किग मामलों पर दबाव कम नहीं हो रहा है।
इस तरह उठी आवाज, चुनौतियां कम नहीं
– बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय पंवार का कहना है कि मास्टर प्लान पर राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला सही है। मास्टर प्लान ही किसी भी शहर का विकास का आधार होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में दबाव के चलते इस पर अमल कम ही हो पा रहा है।
– हाईकोर्ट अधिवक्ता भरत निगम का कहना है कि जब मास्टर बना है तो इसे लागू करने में क्या कठिनाई हैं। निर्माण के समय अनुमति देने वाले बाद में ध्यान नहीं देते और ज्यादा निर्माण पर कब्जा हटाने का दावा करते है, ऐसे अफसरों पर कार्रवाई हो।
– बार एसोसिएशन के पदाधिकारी संजय चौहान का कहना है कि मास्टर प्लान के अनुसार ही शहर का विकास संभव है। इसमें आगामी कई वर्षो तक शहर की सरंचना और बुनियादी जरूरतों का ध्यान रखकर प्लान बनाया जाता है, यही परिपूर्ण होता है।
– अधिवक्ता प्रीति सोलंकी का कहना है कि मास्टर प्लान पर राजस्थान हाईकोर्ट ने जो कहा वह सही है और इस पर हर प्रदेश में अमल होना चाहिए। मास्टर प्लान के अनुसार ही चले तो चौड़ी सड़क और पार्किग की कमी जैसी समस्याएं नहीं रहेगी।
– हिन्दूवादी संगठन के संजय टांक का कहना है कि मास्टर प्लान को लेकर वे रतलाम में काम नहीं होने पर अनदेखी को लेकर याचिका लगाएंगे। बार बार मास्टर प्लान की अनदेखी कर निर्माण की अनुमतियां दे दी जाती है, इससे शहर का विकास रूकता है।
– वरिष्ठ नागरिक शांतिलाल मालवीय का कहना है कि राजनीतिक दबाव के कारण मास्टर प्लान होने के बाद भी इस पर निर्णय नहीं हो पाते। जब भी रसुखदार मनमाने निर्माण करते हैं और निगरानी कोई करता ही नहीं है, इस पर ध्यान देना चाहिए।
– वरिष्ठ नागरिक किर्ती शर्मा का कहना है कि रतलाम शहर में मास्टर प्लान का कोई मतलब नहीं है, जहां चाहों वहां मनमाना निर्माण कर लिया जाता है, जबकि मास्टर प्लान में संबंधित एरिया या तो पर्यावरण वाला है या निर्माण ही नहीं किया जा सकता।