नई दिल्ली. सुरक्षित आर्थिक भविष्य के लिए प्रॉपर्टी में निवेश को हमेशा से बेहतर विकल्प माना जाता रहा है। ऐसे में यदि निवेश के लिहाज से प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो बड़ी पूंजी के साथ-साथ होल्डिंग कैपेसिटी भी बेहद अहम हो जाती है। जाहिर सी बात है ऐसे में रिटर्न की अपेक्षा भी ज्यादा होती है। अच्छे रिटर्न के लिए ढेर सारी रिसर्च, संबंधित लोकेशन का वर्तमान-भविष्य, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट आदि के साथ-साथ इन्वेस्टमेंट पीरियड भी मायने रखता है। अच्छे रिटर्न के लिए जरूरी है कि दूरदृष्टिता से निर्णय लिया जाए और लंबे समय तक अटल रहा जाए। अच्छे रिटर्न के लिए इन बातों पर ध्यान दें…
छोटे साइज का बड़ा फायदा
प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट से अच्छे रिटर्न के लिए उद्देश्य तय करना बेहद जरूरी है। कई बार रेसिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी में तकनीकी अंतर को नहीं समझ पाते हैं और भावनात्मक आधार पर फैसला लेते हैं। यदि निवेश के लिए कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो छोटे साइज को प्राथमिकता दें इन पर रेंट और सेल दोनों स्थितियों में अच्छी डिमांड रहती है। वहीं रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो 1 बीएचके या 2 बीएचके पर फोकस करना ठीक रहेगा, इनकी कीमत तेजी से बढ़ती है और लो बजट के कारण खरीदार भी हमेशा उपलब्ध रहते हैं। साथ ही रेंटल रिटर्न की भी अच्छी संभावना रहती है।
लोकेशन का सिलेक्शन
निवेश के लिए प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो विकासशील क्षेत्रों को प्राथमिकता दें। वहां कम पूंजी में ज्यादा जगह खरीदी जा सकती है। हालांकि इससे रिटर्न के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है, लेकिन जब डेवलपमेंट दिखने लगता है तो कीमतें तेजी से बढ़ती हैं और एकमुश्त मोटा रिटर्न मिलता है।
टैक्स छूट यानी बचत
प्रॉपर्टी में निवेश करते वक्त भारी-भरकम रकम की जरूरत होती है। इसमें से कुछ आप अपने बचत से देते हैं और शेष रकम बैंक से लोन लेते हैं। चूंकि होम लोन लंबे समय के लिए मिलता है ऐसे में इस पूरी अवधि के दौरान आयकर में छूट हासिल कर सकते हैं। साथ ही अगर, आपने किसी प्रॉपर्टी को बेचकर उससे हुए पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन्स) को किसी अन्य मकान की खरीद में निवेश करते हैं तो उस पर भी आपको टैक्स छूट मिलता है।
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