रियल एस्टेट कंपनियों की मुसीबत आने वाले वक्त में और बढ़ सकती है। घर नहीं बिकने से रियल एस्टेट मार्केट के हालात तो खराब है ही साथ कर्ज के जंजाल में वो बुरी तहर से फंसती जा रही हैं
नई दिल्ली। रियल एस्टेट कंपनियों की मुसीबत आने वाले वक्त में और बढ़ सकती है। घर नहीं बिकने से रियल एस्टेट मार्केट के हालात तो खराब है ही साथ कर्ज के जंजाल में वो बुरी तहर से फंसती जा रही हैं। कहीं से कोई सहारा मिलता भी नहीं दिख रहा है। रियल एस्टेट कंपनियों की 30,000 करोड़ रुपए कर्ज की रिफाइनेंसिंग फंसी हुई है। कर्ज रिफाइनेंसिंग ना होने से
रियल्टी कंपनियों पर नई मुसीबत आ गई है। रियल एस्टेट कंपनियों के लिए मध्यम अवधि में 30,000 करोड़ रुपए की रिफाइनेसिंग मुश्किल हो गई है।
2014-15 में कंपनियों पर 61,500 करो रुपए का कर्ज है और माना जा रहा है कि वित्त वर्ष 2016 में कर्ज 70,000 करोड़ रुपए के पार जा सकता है। रियल्टी सैक्टर को सरकारी रियायतों से कुछ खास फायदा नहीं मिल रहा है और दिल्ली-एनसीआर में बिक्री में सबसे ज्यादा गिरावटट दर्ज की जा रही है।
रियल एस्टेट की खास दिक्कतें ये हैं कि उसके कर्ज की रिफाइनेंसिंग मुश्किल तो है ही साथ में प्रॉपर्टी की मांग घटने और कंस्ट्रक्शन लागत बढऩे से कंपनियां लगातार घाटे में जा रही हैं। इसके अलावा पीई निवेशकों की ज्यादा ब्याज की मांग भी रियल्टी सैक्टर की मुश्किलें बढ़ा रही हैं।