खरीदारों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें कुछ बिल्डरों कीधोखाधड़ी से बचाने के लिए रियल इस्टेट रेग्यूलेटरी अथारिटी बनाने का बिल आखिरकार राज्यसभा ने पास कर दिया।
नई दिल्ली। बिल्डरों की मनमानी पर लगाम कसने वाला रियल एस्टेट बिल गुरुवार को राज्यसभा में पास हो गया। इसके लागू होने से देश में फ्लैटों की गुणवत्ता से लेकर तय वक्त पर घर देने के लिए रियल एस्टेट कंपनियां मजबूर होंगी, जिसका सीधा फायदा आम जन को मिलेगा। बिल पर नरेंद्र मोदी की सरकार को कांग्रेस का भी साथ मिला है। लाखों लोगों के सिर पर छत का सपना अब न टूटे इसके लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।
बिल्डर नहीं कर सकेंगे धोखाधड़ी
खरीदारों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें कुछ बिल्डरों कीधोखाधड़ी से बचाने के लिए रियल इस्टेट रेग्यूलेटरी अथारिटी बनाने का बिल आखिरकार राज्यसभा ने पास कर दिया। संसदीय कार्य मंत्री एम वेकेंया नायडू ने कहा कि इससे देश भर के लाखों लोगों को राहत मिलेगी। इससे पहले ऊपरी सदन में केंद्रीय आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री वेंकैया नायडू ने बिल पेश किया।
खरीदारों को हुआ फायदा
बिल में कहा गया है कि हर राज्य के रियल एस्टेट रेग्युलर नियुक्त किए जाएंगे, जो सभी प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग करेंगे और ग्राहक उनसे सीधे शिकायत कर पाएंगे। शिकायतों की सुनवाई रेग्युलेटर द्वारा की जाएगी। इस बिल में प्रावधान किया गया है कि कोई भी बिल्डर अपने प्रोजेक्ट में दो तिहाई ग्राहकों की मंजूरी के बगैर बदलाव नहीं कर पाएगा।
दो साल में पूरे करने होंगे प्रोजेक्ट
एक प्रोजेक्ट के लिए लिया गया 70 फीसदी पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगेगा और इसे एक अलग एकाउंट में रखना होगा। दो साल में हर प्रोजेक्ट पूरा होना चाहिए, मगर अधिकतम एक और साल की छूट मिल सकती है। विज्ञापन और प्रचार में जो बताया जाएगा, उसे डील में शामिल माना जाएगा। मकान का कब्जा देने में जो देरी होगी, उस पर उतना ही ब्याज देना होगा जितना ग्राहक पर भुगतान में देरी पर लगता है।
कार्पेट एरिया को किया परिभाषित
पहली बार कार्पेट एरिया को परिभाषित कर दिया गया है। इस बिल से रिलय एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी। प्रोजेक्ट लॉन्च होते ही बिल्डर्स को प्रोजेक्ट से संबंधित पूरी जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी होगी। इसमें प्रोजेक्ट के अप्रूवल्स के बारे में भी बताना होगा। साथ ही प्राजेक्ट में रोजाना होने वाले अपडेट के बारे में भी सूचित करना होगा।
भ्रामक विज्ञापन पर सजा का प्रस्ताव
बिल में तहत 500 स्क्वायर मीटर एरिया या आठ फ्लैट वाले प्रोजेक्ट को भी रेग्युलेटरी अथॉरिटी के साथ रजिस्टर कराना होगा। पहले 1000 स्क्वायर मीटर वाले प्रोजेक्ट के लिए ही नियम के दायरे में आते थे। अब बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी प्रोजेक्ट लॉन्च नहीं हो सकेगा और न ही बिल्डर उसका विज्ञापन निकाल सकेंगे। भ्रामक विज्ञापन पर सजा का भी प्रावधान करने की सिफारिश की गई है।
गौरतलब है कि शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने पहले ही उम्मीद जताई थी कि बजट सत्र में रीयल एस्टेट बिल पास हो सकता है। सरकार ने पिछले साल मई में भी इस बिल को पास कराने की कोशिश की थी लेकिन विपक्षी पार्टियों के विरोध के कारण यह पास नहीं हो सका था। राहुल गांधी भी इस बिल के समर्थन में कई बयान दे चुके हैं।