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सुनिए वित्त मंत्री जी: बजट मेें रियल्टी मांगे टैक्स छूट, सस्ते घर के लिए विशेष डिस्काउंट

Published: Jan 09, 2017 07:16:00 pm

क फरवरी को पेश होने वाले बजट में रियल एस्टेट सेक्टर वित्त मंत्री से टैक्स छूट, इंडस्ट्री का दर्जा, जीएसटी को लेकर स्पष्टीकरण से लेकर सिंगल विंडो सिस्टम की मांग कर रहा है। 

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नई दिल्ली. घर खरीदारों से लेकर रियल एस्टेट सेक्टर तक मोदी सरकार के आम बजट से ढ़ेर सारी उम्मीदें पाले हुए हैं। तय समय से पहले यानी एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में रियल एस्टेट सेक्टर वित्त मंत्री से टैक्स छूट, इंडस्ट्री का दर्जा, जीएसटी को लेकर स्पष्टीकरण से लेकर सिंगल विंडो सिस्टम की मांग कर रहा है। वहीं, वास्तविक घर खरीदार भी होम लोन पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने, स्टांप ड्यूटी में रियायत, हाउस रेंट अलाउंस की सीमा बढ़ाने जैसी मांगे कर रहा है।

इनकम टैक्स और स्टांप ड्यूटी में मिले राहत

प्रॉपटाइगर.कॉम के चीफ बिजनेस ऑफिसर सुनिल मिश्रा ने बताया कि पिछले तीन साल से रियल एस्टेट सेक्टर सुस्ती की चपेट मे हैं। 8 नवंबर के नोटबंदी के बाद इस सेक्टर की स्थिति और भी खराब हो गई है। ऐसे में आगामी बजट इस सेक्टर को बूस्ट देेने के लिए काफी अहम होगा। जीडीपी में इस सेक्टर का योगदान काफी बड़ा है। ऐसे में वित्त मंत्री अरुण जेटली को होम लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाना, स्टांप ड्यूटी कम करने का तोहफा घर खरीदारों को देना चाहिए, जिससे एक बार फिर से घर की खरीदारी बढ़े और सेक्टर में तेजी लौटे।

पहली दफा घर खरीदार को मिले विशेष छूट

रियल एस्टेट रिसर्च फर्म जेएलएल इंडिया के कंट्री हेड अनुज पुरी के मुताबिक इस बजट में पहली दफा घर खरीद रहे मध्यमवर्गीय युवाओं को विशेष छूट देने का प्रावधान करने की जरूरत है। वित्त मंत्री को चाहिए कि जो युवा अफोर्डेबल प्रोजेक्ट में पहली दफा घर खरीदने जा रहे हैं, उन्हें कम से कम पांच साल के लिए इनकम टैक्स इन्सेेंटिव देना चाहिए। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने जो 12 और 9 लाख के लोन पर 3 और 4 फीसदी होम लोन में छूट की बात कही है, उसकी स्थिति भी स्पष्ट होनी चाहिए। सस्ते घरों की मंाग को पूरा करने के लिए छोटे शहरों में ऐसे प्रोजेक्ट को अगल से लाभ देने की व्यवस्था भी की जानी चाहिए। 50 लाख रुपए तक के घर खरीदार को 50 हजार रुपए की अतिरिक्त छूट इनकम टैक्स में मिलनी चाहिए।

सिंगल विंडो के साथ मिले इंडस्ट्री का स्टेटस

अंतरिक्ष इंडिया के सीएमडी राकेश यादव ने बताया कि हम इस बजट में सरकार से सिंगल विंडो के साथ इंडस्ट्री स्टेटस देने की मांग कर रहे हैं। प्रोजेक्ट देरी से पूरा होने में सबसे बड़ी वाधा उसका क्लीयरेंस नहीं मिलना होता है। करीब 40 सरकारी डिपार्टमेंट से स्वीकृति मिलने के बाद ही काम शुरू हो पाता है। इसके साथ ही प्रोजेक्ट के लिए फंड जुटाना मुश्किल होता है। बैंकों को प्रोजेक्ट का पूरा करने के लिए लोन आसानी से दें इसके लिए इंडस्ट्री स्टेटस बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी शुरुआत कर दी है। हमें उम्मीद है कि इस बजट में इस सेक्टर को र तार देने के लिए कई और भी घोषणाएं होंगी।

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