अगर पति-पत्नी के बीच आए दिन किसी न किसी बात को लेकर झगड़ा होता रहता है, तो अभी से संभल जाइए
अगर पति-पत्नी के बीच आए दिन किसी न किसी बात को लेकर झगड़ा होता रहता है, तो अभी से संभल जाइए। अध्ययनों से पता चला है कि पति-पत्नी के बीच होने वाला झगड़ा न केवल बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि उनके मानसिक विकास पर भी बुरा असर डालता है। इससे बच्चे में कई तरह के मानसिक विकार उत्पन्न हो सकते हैं। एक रिपोर्ट…
केस-1
जयपुर में रहने वाली नीलम (बदला हुआ नाम) की शादी को आठ साल होने को आए हैं। सात साल का बेटा भी है। लेकिन शादी के कुछ महीनों बाद से ही पति के साथ मनमुटाव रहने लगा। यह झगड़ा तब और बढऩे लगा, जब बेटा बीमार रहने लगा। डॉक्टरों की समझ में भी नहीं आ रहा था कि सब कुछ ठीक होने के बाद भी बेटा बार-बार बीमार क्यों पड़ रहा है!
केस-2
इंदौर की रमा (बदला हुआ नाम ) की बेटी 13 साल की है। पति से अक्सर झगड़ा रहता था। नतीजतन तीन साल पहले उन्होंने पति से तलाक ले लिया। लेकिन तब से बेटी के व्यवहार में बदलाव आने लगा। वे चिड़चिड़ी रहने लगी। पढ़ाई में भी कमजोर हो गई। जब उसने काउंसलर से संपर्क किया तो बताया गया कि उनके तनावपूर्ण संबंधों का बच्ची के मन पर गहरा असर हुआ है।
अध्ययनों के अनुसार बच्चों के व्यवहार पर उसके माता-पिता के व्यवहार की छाप दिखाई देती है। बच्चे के व्यवहार में 90 प्रतिशत असर उसके अभिभावकों के व्यवहार का होता है। उनके स्वभाव और सोच पर आपको वैसी ही झलक दिखाई देगी जैसा माहौल उसे बचपन से लेकर बड़ा होने तक मिला होगा। अगर माहौल लड़ाई-झगड़े वाला है, तो बच्चे का स्वभाव गुस्सैल, चिड़चिड़ा और ईष्र्या वाला होगा। बहुत सारे माता पिता बच्चों के सामने लड़ाई, बहस और मारपीट शुरू कर देते हैं। इससे बच्चे की लाइफ में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। वह मानसिक रूप से बीमार पड़ सकते हैं। ये दो केस एक बानगी भर हैं।
बच्चों पर होता है ये असरसहमें रहना – बच्चों के सामने मारपीट, बहस और अपशब्द बोलते हुए पैरेंट्स इस बात को भूल जाते हैं कि उनकी इन हरकतों की वजह से उनके बच्चे सारी उम्र डरे सहमें रहते हैं। उन्हें किसी भी रिश्ते को निभाने में
डर लगता है।
मानसिक रूप से परेशान – ऐसे माहौल में रहने वाले बच्चों का मानसिक विकास अच्छे से नहीं हो पाता। वह बचपन की मस्तियों को खो देते हैं। बचपन भूलकर वह नकारात्मक रूप से परिपक्व होने लगता है।
खुद मानने लगता है वजह – पेरेंट्स को लगातार लड़ाई-झगड़ा करते देख बच्चे के मन में तरह-तरह के सवाल उठने लगते हैं। वे मन ही मन में खुद इस झगड़े की वजह मानने लगता है और खुद से नफरत करने लगता है।
चिड़चिड़ा और गुस्सैल – झगड़े को देखकर बच्चे का स्वभाव भी चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो जाता हैं, जिसका असर जीवनभर उसके जीवन में देखने को मिलता है। यही स्वभाव आगे चलकर उसकी लाइफ में कई मुश्किलें खड़ी कर देता है।
डिप्रेशन – बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।
पढ़ाई में कमजोर – ऐसे बच्चे का दिमाग कभी फ्रैश नहीं होता। वह न तो ढंग से किसी दूसरे बच्चे से बात कर पाता हैं और न ही पढ़ाई।
सर्वे : मन और शरीर पर असरमियामी (अमरीका) में हुई एक रिसर्च के अनुसार शरीर के इम्यून सिस्टम पर लड़ाई-झगड़ों का गहरा असर होता है। इससे इम्यून सिस्टम की बीमारियों से लडऩे की क्षमता कमजोर पड़ जाती है। अगर बचपन में माता-पिता के बीच लड़ाई-झगड़े हुए हों, वे एक-दूसरे से बोलते न हों, तलाक का झगड़ा लंबे समय तक चलता रहा हो, इसका असर बच्चों के कोमल मन पर बहुत बुरा पड़ता है। सिर्फ बचपन में ही नहीं, इसका नकारात्मक असर पूरे जीवन उनके ऊपर रहता है। वे जल्दी-जल्दी बीमार पड़ते हैं। जिन बच्चों के माता-पिता अलग हो गए और वर्षों तक एक-दूसरे से बात नहीं की, वे अन्य बच्चों के मुकाबले तीन गुना अधिक बीमार पड़ते हैं और कुछ गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।
पढ़ाई पर भी पड़ता है बुरा असर!
माता-पिता के झगड़े की वजह से बच्चे भी तनाव में रहने लगते हैं, जिसकी वजह से वे स्कूल में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते। रोचेस्टर, सिरैक्यूज और नोट्रेडम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने तीन वर्ष की अवधि के दौरान 216 बच्चों, उनके अभिभावकों और शिक्षकों के बीच अध्ययन किया। माता-पिता के संबंधों को लेकर बच्चों की चिंता पर हुए इस अध्ययन में पाया गया कि माता-पिता के तनाव भरे संबंधों का बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ता है।