औरत और मर्द दोनों भावनात्मक रूप से एक-दूसरे से बहुत अलग होते हैं। हाल ही में एक शोध ने भी यह बात सामने आई
सभी को मालूम है कि औरत और मर्द दोनों भावनात्मक रूप से एक-दूसरे से बहुत अलग होते हैं। हाल ही में एक शोध ने भी यह बात सामने आई। एक स्टडी के मुताबिक, महिलाएं एक बार सेक्सुअली धोखा बर्दाश्त कर सकती हैं लेकिन भावनात्मक रूप से आहत होने पर वह सबसे ज्यादा दुखी होती है। पुरूषों के साथ ठीक इसका उलट होता है। पुरूष भावनात्मक दुख को बर्दाश्त कर जाते है लेकिन शारीरिक संबधों में धोखा उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं होता।
स्टडी के अनुसार, महिलाओं में भावनात्मक जलन की भावना बहुत अधिक होती है। अगर उन्हें यह डर हो कि उनका पार्टनर उन्हें छोड़कर किसी और के पास चला जाएगा तो उनके अंदर यह भावना बढ़ती जाती है। जबकि मर्दो में ठीक इसका उल्टा होता है। उन्हें सेक्सुअली धोखा मिलने का डर ज्यादा होता है। नॉर्वे यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलजी डिपार्टमेंट ऑफ साइकोलॉजी के शोधकर्ताओं का कहना है कि महिला और पुरूष में सोच का यह फर्फ दुनिया के विभिन्न देशों में उनके सालों से चले आ रहे विकास क्रम का नतीजा है।
स्टडी में कहा गया है कि यह सालों से हुए विकास के क्रम के फलस्वरूप है। जिसकी वजह से पुरूषों और महिलाओं के बीच इतना फर्फ देखने को मिलता है। परंपरागत रूप से बच्चों की देखभाल करना मां की ही जिम्मेदारी मानी जाती है। जिन घरों में पुरूष सकारात्मक व्यवहार रखते हैं वहां भी परिवार की ज्यादातर जिम्मेदारियों महिलाओं पर ही होती है।
इस अध्ययन के लिए करीब 1000 लोगों पर शोध किया गया। शोध में पाया गया कि महिलाओं और पुरूषों के बीच कई बातों को लेकर समानता होती है लेकिन रीप्रोडक्शन के विषय पर दोनों बिल्कुल विपरीत सोच रखते हैं।