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गरुण पुराण: 9 दिसंबर तक न करें ये काम, हो सकता है नुकशान

गरुड़ पुराण के अंर्तगत हम आपको एक अहम जानकारी देने जा रहे हैं जो आपके लिए
अति महत्वपूर्ण है। दरअसल 5 दिसंबर की शाम पंचक से लग गया है..

Dec 07, 2016 / 04:58 pm

राहुल

9 december tak na karen ye kaam

9 december tak na karen ye kaam

भारत की एक अपनी सनातन परंपरा है, जिसमें कई तरह से पुराण और नीतियां समाहित हैं जैसे गरुण पुराण, विदुर नीति, चाणक्य नीति, रावण संहिता इत्यादि!

गरुड़ पुराण के अंर्तगत हम आपको एक अहम जानकारी देने जा रहे हैं जो आपके लिए अति महत्वपूर्ण है। दरअसल 5 दिसंबर की शाम पंचक से लग गया है। इस योग में कई शुभ कार्यों की मनाही है। ज्योतिष शास्त्र में गरुण पुराण के अऩुसार इस दौरान कोईशुभ काम नहीं किया जाता। इसके अलावा कुछ काम तो ऐसे भी हैं जिन्हें करने की बिलकुल मनाही है।

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कई ज्योतिषाचार्यों का तो यह भी मानना है कि अगर पंचक काल में कोई कार्य करना जरूरी हो तो उसे धनिष्ठा नक्षत्र के अंत, शतभिषा नक्षत्र के मध्य, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के प्रारंभ और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के अंत की 5 घड़ी का समय छोड़कर शेष समय मेंकिया जा सकता है, लेकिन इस समय को ध्यान रखने के लिए खास सावधानी बरतनी चाहिए।


1- घर में एकत्र न करें ईंधन-

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पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नही करना चाहिए, इससे अग्नि का भय रहता है।

2- दक्षिण दिशा में न करें यात्रा-

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पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नही करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है।

3- ना बनायें घर की छत-

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पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए, ऐसा विद्वानों का मत है। इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है।

4- ना बनाएं चारपाई-

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पंचक में चारपाई बनवाना भी अशुभ माना जाता है। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।

5- शव का अंतिम संस्कार इस प्रकार करें-

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पंचक में शव का अंतिम संस्कार नही करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पंचक में शव का अन्तिम संस्कार करने से उस कुटुंब में पांच मृत्यु और हो जाती है। यदि परिस्थितीवश किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक अवधि में हो जाती है, तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करें, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसा गरुड़ पुराण में लिखा है।

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