scriptप्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ने भारतीय बच्चों का किया इस्तेमाल | Indian children were used in the First World War by Britain | Patrika News

प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ने भारतीय बच्चों का किया इस्तेमाल

Published: Oct 26, 2015 01:30:00 am

Submitted by:

Jyoti Kumar

विश्वयुद्ध पर भारतीय सैनिकों की भूमिका पर प्रकाशित एक नई किताब के मुताबिक प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ने पश्चिमी मोर्चे पर जर्मनों से टक्कर लेने के लिए 10 साल तक के भारतीय बच्चों को जंग के मैदान में खड़ा किया था। 

विश्वयुद्ध पर भारतीय सैनिकों की भूमिका पर प्रकाशित एक नई किताब के मुताबिक प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ने पश्चिमी मोर्चे पर जर्मनों से टक्कर लेने के लिए 10 साल तक के भारतीय बच्चों को जंग के मैदान में खड़ा किया था। 


राष्ट्रीय अभिलेखागार और ब्रिटिश लाइब्रेरी में रखे दस्तावेजों पर शोध कर पुस्तक लिखने वाली लेखिका एवं इतिहासकार शरबानी बसु ने अपनी पुस्तक ‘किंग एंड अनदर कंट्री: इंडियन सोल्जर्स ऑन द् वेस्टर्न फ्रंट 1914-18Ó में इसका दावा किया है। पुस्तक के मुताबिक बच्चों और किशोरों को ब्रिटिश साम्राज्य के विभिन्न कोनों से पोतों से फ्रांस ले जाया गया था। हालांकि उनकी भूमिका समर्थन प्रदान करने की थी, लेकिन वे मोर्चे के इतने निकट थे कि उनमें से अनेक घायल हो गए थे।

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घुड़सवार रेजिमेंट में समर्थन
भारतीय बच्चों ने घुड़सवार रेजिमेंटों को समर्थन प्रदान किया था। उनमें 10 साल का एक धौंकनी चलाने वाला और दो साईस (घोड़ों की देखभाल करने वाले) शामिल हैं। दोनों साईस 12 साल के थे। सीधे युद्धक अभियान से जुड़े सबसे कम उम्र के किशोरों में एक बहादुर नन्हा गोरखा शामिल था, जिसका नाम पिम था। 16 साल के इस किशोर को महारानी मेरी ने उस वक्त शौर्य पुरस्कार दिया था जब वह ब्रिटेन के एक अस्पताल में घायल अवस्था में पड़ा था।
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