scriptप्यार के लिए नहीं, अपने भक्तों के लिए पहाड़ चीर बनाया रास्ता | Bundi Saint Baba Bajrang Das made way through mountain like Dashrath Manjhi | Patrika News
धर्म और अध्यात्म

प्यार के लिए नहीं, अपने भक्तों के लिए पहाड़ चीर बनाया रास्ता

बूंदी के बाबा बजरंग दास ने गेण्डोली व मांडपुर के लिए बनाया रास्ता,
30 किमी का रास्ता तीन किमी में सिमटा

Aug 24, 2015 / 10:35 am

सुनील शर्मा

baba bajrang das

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“इरादे मजबूत हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं।” इस कथन को सच कर दिखाया है बूंदी जिले के संत बजरंग दास ने। जिन्हें लोग लाल लंगोट वाले बाबा के नाम से जानते हैं। बाबा की कहानी भी “मांझी : द माउंटेन मैन” फिल्म के मुख्य किरदार बिहार के दशरथ मांझी से कम नहीं। फर्क इतना है कि मांझी ने मोहब्बत के लिए पहाड़ चीर दिया वहीं बाबा ने लोगों की राह आसान करने परोपकार में यह काम कर दिखाया।

गेण्डोली में आश्रम बनाकर रहने वाले संत बजरंगदास को इसका पता चला तो उन्होंने इस राह को सुगम बनाने की ठान ली। मांडपुर व गेण्डोली के बीच स्थित पहाड़ी पर रास्ता बनाने के सपने को साकार करने के इस प्रयास में ग्रामीणों ने भी उनका साथ दिया। उन्होंने 80 के दशक में इस काम की शुरूआत की। बाबा के साथ गांव के लोगों ने कई सालों तक इस पहाड़ी पर श्रमदान कि या और 90 के दशक में एक दिन ऎसा आया जब इस रास्ते से वाहन गुजरने लगे। ग्रामीणों ने इस मार्ग को “बजरंग घाटी” नाम दे दिया। चीपल्टा, मांडपुर, गेण्डोली, गूंथा, सास्थी के ग्रामीणों के लिए तो समझो सपना ही सच हो गया।



लम्बा सफर कुछ दूरी पर सिमटा

बूंदी-लाखेरी मार्ग पर स्थित पहाड़ी को चीरकर उसमें रास्ता बनाने के बाबा के काम ने जिले के दर्जनों गांवों के लोगों की राह आसान कर दी। नैनवां मार्ग पर स्थित मांडपुर गांव से लाखेरी मार्ग पर स्थित गेण्डोली तक पहुंचने के लिए पहले ग्रामीणों को खटकड़ होते हुए करीब तीस किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। इस दूरी को कम करने के लिए बाबा ने दोनों गांवों के बीच स्थित पहाड़ी से रास्ता बना डाला। अब इन गांवों में आने जाने के लिए सिर्फ ढाई से तीन किमी लम्बा रास्ता पार करना पड़ता है। रोजमर्रा के कामकाज के लिए आने-जाने में ग्रामीणों की राह अब आसान हो गई है। ग्रामीणों के मुताबिक इस पहाड़ पर बरसों पहले सिर्फ मवेशियों को लाने-ले जाने के लिए एक पगडंडी हुआ करती थी। राह इतनी मुश्किल थी कि कई बार तो मवेशी भी जख्मी हो जाते थे।



सरकार का नहीं मिला साथ

संत के इस काम में आमजन का तो भरपूर साथ मिला, लेकिन सरकार का नहीं। संत बजरंग दास ने बताया कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मिलकर कई बार इस मार्ग के डामरीकरण की मांग उठाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। यही वजह है कि अब भी बरसात के दिनों में लोगों को इस मार्ग से गुजरने में परेशानी उठानी पड़ती है।

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