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क्या करें, क्या न करें? करवाचौथ पर इन बातों का रखेंगे खयाल, तो मिलेगा 100 गुना फल

Published: Oct 18, 2016 02:14:00 pm

Submitted by:

dilip chaturvedi

ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि इस बार करवाचौथ का ये व्रत हर सुहागिन की जिंदगी संवार सकता है… 

karwachauth

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जयपुर। भारत में करवा चौथ के व्रत का खासा महत्व है। ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि इस बार करवाचौथ का ये व्रत हर सुहागिन की जिंदगी संवार सकता है। हम आपको बता दें कि 100 साल बाद करवाचौथ का ऐसा महासंयोग आया है, लेकिन इसके लिए इस दिव्य व्रत से जुड़े नियम और सावधानियों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आइए हम बताते हैं कि इस अद्भुत संयोग वाले करवाचौथ के व्रत में क्या करें और क्या ना करें?


-करवा चौथ का त्यौहार इस बार बुधवार को मनाया जा रहा है। बुधवार को शुभ कार्तिक मास का रोहिणी नक्षत्र है। इस दिन चन्द्रमा अपने रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे। साथ ही इस दिन बुध अपनी कन्या राशि में रहेंगे।

-इसके अलावा इसी दिन गणेश चतुर्थी और कृष्णजी की रोहिणी नक्षत्र भी है। शास्त्रों में बुधवार गणेशजी और कृष्णजी दोनों का दिन है। ये अद्भुत संयोग करवाचौथ के व्रत को और भी शुभ फलदायी बना रहा है।

– इस दिन पति की लंबी उम्र के साथ संतान सुख भी मिल सकता है। करवाचौथ के दिन श्री गणेश, मां गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रमा पूजन से महिलाओं को पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख का वरदान मिलता है।

-विधि-विधान से ये पर्व मनाने से महिलाओं का सौंदर्य भी बढ़ता है। करवाचौथ की रात सौभाग्य प्राप्ति के प्रयोग का फल निश्चित ही मिलता है। केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो, वही स्त्रियां ये व्रत रख सकती हैं। व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े कतई नहीं पहनने चाहिए। करवाचौथ के दिन लाल और पीले कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है। हिलाओं को लाल रंग के कपड़े पहनना चाहिए। लाल रंग पहनने का कारण है कि इसे सुहाग की निशानी माना जाता है। साथ ही यह प्रेम का प्रतीक माना जाता है। 

-करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है। ये व्रत निर्जल या केवल जल ग्रहण करके ही रखना चाहिए। इस दिन पूर्ण श्रृंगार और अच्छा भोजन करना चाहिए। पत्नी के अस्वस्थ होने की स्थिति में पति भी ये व्रत रख सकते हैं।


सरगी का है महत्व…
करवा चौथ के व्रत पर सरगी का सबसे अधिक महत्व है। इसके बिना तो व्रत की शुरुआत नहीं होती है। यह सरगी सास अपनी बहू को देती है। जो व्रत शुरू होने से पहले दी जाती है। इस सरगी में कुछ मिठाइयां और कपड़े और श्रृंगार का सामान होता है। इस सरगी को बहू करवा चौथ के दिन सूर्योदय होने से पहले सुबह लगभग चार बजे के आस-पास खाती है। इसके साथ ही उनके व्रत शुरू हो जाता है। महिलाएं इस व्रत को पूरी श्रृद्धा के साथ रखती हैं और शाम को जब चांद निकलता है उसके बाद ही अपना व्रत खोलती हैं।

मां भेजे अपनी बेटी को बाया
करवा चौथ में जिस तरह सरगी महत्वपूर्ण होती है उसी तरह बाया भी होता है। इस दिन मां अपनी बेटी को शाम को पूजा शुरू होने से पहले उसके घर या फिर उसे बाया देती है। इस बाया में कुछ मिठाइयां, गिफ्ट, ड्राई फ्रूट्स आदि दिए जाते है।

सुनें करवा चौथ की कथा
करवा चौथ के दिन जितना महत्व व्रत और पूजा करने का होता है। उतना ही महत्व करवा चौथ की कथा का भी है। इसलिए इस कथा को बड़े ही एकाग्र होकर सुनना चाहिए। कभी-कभी हम देखते है कि कई महिलाएं ऐसी होती हैं कि वह एकचित्त होकर नहीं सुनती है। उनका मन और कहीं लगा होता है। जो शास्त्रों के अनुसार गलत माना जाता है, इसलिए सभी महिलाओं को एकाग्र होकर कथा सुननी चाहिए, जिससे आपको शुभ फल मिलेगा।


100 गुना फल पाने के लिए ऐसे रखें करवाचौथ का व्रत
करवाचौथ के व्रत और पूजन की उत्तम विधि के बारे जिसे करने से आपको इस व्रत का 100 गुना फल मिलेगा। सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्पत लें, फिर व्रत शुरू करें। उसके बाद संपूर्ण शिव परिवार और श्रीकृष्ण की स्थापना करें। गणेशजी को पीले फूलों की माला, लड्डू और केले चढ़ाएं। भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करेंं। श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और पेड़े का भोग लगाएं। उनके सामने मोगरा या चंदन की अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं। मिटटी के कर्वे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। कर्वे में दूध, जल और गुलाबजल मिलाकर रखें और रात को छलनी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें और चन्द्रमा को अध्र्य दें। पूजा पाठ आदि के बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लें। पति को प्रसाद देने के बाद अपना व्रत खोलें।

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