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धर्म और अध्यात्म

ताकतवर बनने के लिए सीखें खुद को पहचानना

एक शेर का बच्चा भेड़ों
के झुंड में खो गया। वह दिन-रात उन्हीं के साथ रहता, सोहबत का असर था कि उसकी आदतें
भी भेड़ों जैसी हो गई

Apr 24, 2015 / 12:40 pm

सुनील शर्मा

Lion with cub

Lion with cub

स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन काल में युवाओं का आत्मबल जगाने के सतत् प्रयास किए। उत्तिष्ठत् जागृत प्राप्य वरान निबोधत। “उठो, जागो और जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए प्रयत्न करते रहो।” शक्तिबोध जगाने वाली यह रोचक कथा हमेशा याद रखने योग्य है। एक शेर का बच्चा भेड़ों के झुंड में खो गया। वह दिन-रात उन्हीं के साथ रहता। सोहबत का असर था कि उसकी आदतें भी भेड़ों जैसी हो गई। वह भेड़ों की तरह ही मिमियाने लगा।

एक दिन एक सिंह उधर से गुजर रहा था। उसने देखा कि सिंह शावक भेड़ों की भांति मिमिया रहा है। डरपोक बन गया है। उसने आवाज देकर उसे बुलाया और उसे अपने साथ जलाशय तक ले गया। फिर उससे कहा पानी में देख, “मेरा और तेरा स्वरूप एक जैसा है। दहाड़ कर सिंह गर्जना कर उसने एहसास दिलाया कि तू शेर है। दबना, झिझक ना और डरना मिमियाना छोड़। शेर की तरह बर्ताव कर।” फिर क्या था … वह भी सिंह की भांति शान के साथ शेर का अनुसरण करते हुए वन की ओर चल दिया।

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