scriptधर्मः मल्लाह ने दी गुरू को शिक्षा | Illiterate sailor saved life of intellectual prophet | Patrika News

धर्मः मल्लाह ने दी गुरू को शिक्षा

Published: May 03, 2015 11:19:00 am

गुरू ब्रह्मानंद ने मल्लाह की
हरकतें देख उसे जाहिल बताया, लेकिन बाद में उन्हीं हरकतों की वजह से गुरूदेव की जान
बची

Boat in sea storm

Boat in sea storm

एक नगर में गुरू ब्रह्मानंद अपने ज्ञान के लिए काफी विख्यात थे। वेद, पुराण और नीति की बातों में उनसे कोई प्रतियोगिता नहीं कर सकता था। आसपास के सभी राजकुमार गुरू ब्रह्मानंद के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे।

ब्रह्मानंद अपने ज्ञान पर काफी घमंड करते थे। वे अशिक्षित और अज्ञानी लोगों से बात तक करना पसंद नहीं करते थे। एक दिन उन्हें किसी काम से पड़ोस के नगर में जाना था। दोनों नगरों के बीच एक नदी पड़ती थी। गुरू को उनके शिष्य किनारे पर छोड़ने के लिए आए, जिससे वे नाव में सवार होकर नदी पार करें और दूसरे नगर में पहुंच सकें।
नदी किनारे उन्हें विक्रम मल्लाह की नाव मिली। गुरू ब्रह्मानंद उसकी नाव में सवार हो गए।

विक्रम ने चप्पू चलाते हुए नाव खेना शुरू किया और गाना गाने लगा। तभी गुरू ने उसे टोका, “तुम जाहिल हो। कितनी तेज और कर्कश आवाज है तुम्हारी। उस पर तुम जो गाना गा रहे हो, उसमें व्याकरण की अशुद्धि है।”

विक्रम बोला, “गुरूदेव! मैं निरक्षर और अज्ञानी हूं। ऎसे में मुझे जैसा आता है, मैं वैसा ही गाना गा रहा हूूं। यदि आपको यह पसंद नहीं आ रहा है तो मैं चुप हो जाता हूं।”

थोड़ी देर बार गुरू फिर बोले,”मल्लाह! तुम्हें बैठने का भी सलीका नहीं। कितना हिल-डुल रहे हो। चाहे जहां हाथ-पैर चला रहे हो। शांति से नहीं बैठ सकते क्या तुम!” अब विक्रम चुपचाप बिना किसी हरकत के नाव खेने में लग गया।

थोड़ी देर बाद तेज गर्जन के साथ बारिश होने लगी। साथ ही तूफान भी आने लगा। नाव हिचकोले खाने लगी। गुरू ब्रह्मानंद डर गए। विक्रम ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें तैरना आता है तो गुरू ने ना में सिर हिला दिया।

अब विक्रम से रहा नहीं गया। उसने कहा, “गुरूदेव! आप सिर्फ किताबी ज्ञान देते हैं और व्यावहारिक चीजों से दूर हैं। आपको तैरना आता नहीं। चिल्लाने और हिलने-डुलने को आप मना करते हैं। ऎसे में आपको मदद कैसे मिलेगी।”

यह सुनते ही ब्रह्मानंद जोर-जोर से मदद के लिए चिल्लाने लगे और विक्रम से क्षमा मांगी। विक्रम ने अपनी सीट से खड़े होकर नजदीकी टापू पर रहने वाले लोगों को आवाज दी और उन्हें तुरंत ही मदद मिल गई।
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