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धर्म और अध्यात्म

वैज्ञानिकों ने कहा, बढ़ती समृद्धि के साथ ही दुनिया से धर्म खत्म हो जाएगा

वैज्ञानिकों के एक समूह ने दावा किया कि जैसे-जैसे लोगों के पास पैसा तथा समृद्धि बढ़ती जाएगी, धर्म का अंत होने लगेगा

May 11, 2016 / 01:16 pm

सुनील शर्मा

world religion

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वैज्ञानिकों के एक समूह ने दावा किया कि जैसे-जैसे लोगों के पास पैसा और समृद्धि बढ़ती जाएगी, धर्म का अंत होने लगेगा। समूह के अनुसार विश्व के बड़े धर्म जैसे ईसाई धर्म, इस्लाम, यहूदी, हिंदुत्व और बौद्ध धर्म अमीरों और गरीबों के बीच के रहन-सहन के अंतर के कारण उभर कर आए थे।

विकासवादी सायकॉलजिस्ट डॉ. निकोलस बौमार्ड के अनुसार समृद्धि और पैसे आने के बाद लोगों का रहन-सहन काफी ‘धीमा’ हो गया। इस धीमे जीवन के कारण धनी लोग घाटे में आ गए। प्रजनन दर कम होने के कारण उनकी संतानें भी कम थी। इस कमी से उबरने के लिए धनी लोगों ने धर्मों को नैतिक जीवन का आधार बनाने की मुहिम चलाई और गरीबों को भी अपने साथ ले लिया।

बौमार्ड के अध्ययन के अनुसार धार्मिक क्रियाएं अस्तित्व में तभी से आईं जब अमीरों और गरीबों के बीच का फर्क बहुत ज्यादा बढ़ गया था। अपनी स्टडी में बोमार्ड ने लिखा, ‘प्रेरणा और पुरस्कार प्रणाली पर समृद्धि का आशातीत प्रभाव होता है। इससे व्यक्ति दौड़ती-भागती जिंदगी (जिसमें संसाधनों का अधिग्रहण और आक्रामक बातचीत शामिल हैं) के उलट धीमि गति के जीवन (जिसमें आत्म नियंत्रण के तरीके और सहयोगी चर्चा) की तरह बढ़ने लगते हैं।’

बौमार्ड ने लिखा कि जैसे-जैसे लोगों के पास पैसा आएगा, धर्मों के नैतिकीकरण पर जोर दिया जाने लगेगा और लोगों को नैतिक जीवन जीने की राह दिखाई जाएगी। हालांकि अब लोग एक-दूसरे का सहयोग करने के लिए प्रेरित हैं और जीवन की भौतिक जरूरतों से ऊपर उठकर सोचते हैं। इसके चलते आम जीवन को नैतिक बनाने के लिए धर्म की जरूरत धीरे-धीरे खत्म हो रही है।

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