चरण छूने से मिलते हैं शरीर और धर्म से जुड़े ये वरदान
Published: Nov 27, 2015 03:55:00 pm
वेदों में चरण स्पर्श को प्रणाम करने का विधान माना गया है। वैज्ञानिकों का
मानना है कि मानव शरीर में हाथ और पैर अत्यधिक संवेदनशील अंग है
narendra modi touch mother feet
चरण स्पर्श (अभिवादन) करना जहां नैतिक आचरण की शुद्धि का परिचायक है, वहीं यह एक प्रकार से योग भी है। इससे पूरे शरीर और मन का आरोग्य बना रहता है। ‘अथर्ववेद’ में मानव जीवन की आचार संहिता का एक खंड ही है, जिसमें व्यक्ति की प्रात: कालीन प्राथमिक क्रिया के रूप में नमन को प्राथमिकता दी गई है।
वेद में ‘गुरु देवो भव, मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव, अतिथि देवो भव।’ आदि सूत्रों में सबको दंडवत प्रणाम व चरण स्पर्श करने को कहा गया है। ऐसा करने से वरिष्ठजनों के आशीर्वाद के साथ-साथ ऊर्जा और देव बल की प्राप्ति होती है। वेदों में चरण स्पर्श को प्रणाम करने का विधान माना गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मानव शरीर में हाथ और पैर अत्यधिक संवेदनशील अंग है।
हम किसी भी वस्त्र के कोमल, शीतल या गर्म आदि के गुण युक्त होने का अनुभव हाथों व पैरों के स्पर्श से प्राप्त कर लेते हैं। जब कोई अपनी दोनों हथेलियों से किसी व्यक्ति का चरण स्पर्श करता है तो कॉस्मिक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स का एक चक्र उसके शरीर के अग्रभाग में घूमने लगता है, उससे शरीर के विकारों को नष्ट करने वाली सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।