scriptमैनेजमेंट के सबसे बड़े गुरु है ‘कन्हैया’… | Krishna is the biggest teacher of management | Patrika News

मैनेजमेंट के सबसे बड़े गुरु है ‘कन्हैया’…

Published: Aug 24, 2016 09:53:00 am

भगवद् गीता की गिनती धर्मग्रंथ के रूप में तो होती ही है, साथ
में मैनेजमेंट के ज्ञान भंडार के रूप में भी इसे दुनियाभर में पढ़ा और समझा
जा रहा है

mahabharat krishna arjun gita updesh

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लगभग सभी धर्मग्रंथों पर हमेशा से शोध होते रहे हैं। उन्हीं में से एक भगवद् गीता भी है। आज इसकी गिनती धर्मग्रंथ के रूप में तो होती ही है, साथ में मैनेजमेंट के ज्ञान भंडार के रूप में भी इसे दुनियाभर में पढ़ा और समझा जा रहा है। इसमें दिए गए ‘प्रैक्टिकल ज्ञान’ को न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी मैनेंजमेंट का अचूक मंत्र माना जा रहा है और इसी रूप में पढ़ा और समझा जा रहा है। सदियों पहले महाभारत के युद्ध के समय श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया यह ज्ञान अब यूनिवर्सिटी के अर्जुनों को व्यावहारिक प्रबंधन का गुर सिखा रहा है।



डीवीडी से मिलेगा गीता का ज्ञान
ग्लोबल एकेडमी फॉर कॉरपोरेट ट्रेनिंग (ग्लोबल एक्ट) ने पिछले साल दिसंबर में भगवत गीता में दर्शाए गए प्रबंधन के सिद्धांतों को एक साथ जोड़ते हुए एक डीवीडी तैयार की है। इस डीवीडी को तैयार करने वाले ग्लोबल एक्ट का कहना है कि प्रबंधन के बारे में भगवत गीता में दिए गए अहम सिद्धांत आज के युग में भी कंपनियों की उत्पादकता व कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं। ग्लोबल एक्ट के संस्थापक विवेक बिंद्रा का कहना है कि भगवद् गीता में दृष्टिकोण, नेतृत्व, प्रेरणा, कार्य दक्षता व योजना निर्माण जैसे प्रबंधन के अनेक आधुनिक सिद्धांतों की चर्चा की गई है, साथ में प्रबंधन की समस्याओं के समाधान भी बताए गए हैं, जो किसी भी मैनेजमेंट छात्र के लिए जानना बेहद जरूरी है।



मैनेजमेंट कॉन्सेप्ट और भगवद् गीता
प्रबंधन एक ऐसी प्रक्रिया है जो लोगों को एक साथ जोड़कर, उन्हें एक निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किए जाने वाले कार्य से जोड़ता है। नेतृत्व, मोटिवेशन, लक्ष्य की प्राप्ति, निर्णय लेने की क्षमता, योजना बनाना जैसी जो अवधारणाएं मॉर्डन (वेस्टर्न) मैनेजमेंट में हैं, वह सब कुछ भगवद् गीता में विस्तार से समझाई गई हैं। लेकिन इनके बीच जो बड़ा अंतर है, वह है समस्याओं को सुलझाने का। जहां मॉर्डन मैनेजमेंट में समस्याओं से निपटने के लिए बाहरी तौर पर श्रम किया जाता है, वहीं गीता में इसे बेहद बुनियादी स्तर पर जाकर सुलझाने की बात कही गई है।

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