प्रेरणा: मछली की टोकरी
Published: May 21, 2015 09:20:00 am
एक बार एक गृहस्थ को घर के बाहर एक मछुआरा खड़ा
दिखा। उसने मछुआरे से पूछा, “भाई, क्या तुम भोजन करोगे?”
एक बार एक गृहस्थ को घर के बाहर एक मछुआरा खड़ा दिखा। उसने मछुआरे से पूछा, “भाई, क्या तुम भोजन करोगे?” मछुआरे के हां कहने पर गृहस्थ उसे घर के भीतर ले गया, लेकिन उसने मछुआरे से कहा कि वह अपनी मछली की टोकरी घर के आंगन में ही रख दे क्योंकि उससे बहुत गंध आ रही थी। मछुआरे ने ऎसा ही किया।
गृहस्थ ने मछुआरे से रात को वहीं विश्राम करने के लिए कहा। मछुआरा साथ के एक कमरे में सो गया। देर रात को जब गृहस्थ लघुशंका करने के लिए उठा, तब उसने देखा कि मछुआरा बेचैनी में करवटें बदल रहा था। गृहस्थ ने मछुआरे से पूछा,”क्या तुम्हें नींद नहीं आ रही? कोई समस्या है क्या?”
मछुआरे ने कहा, “मैं हमेशा अपनी मछली की टोकरी के पास ही सोता हूं। जब तक मुझे मछलियों की गंध न आए, तब तक मुझे नींद नहीं आती।” गृहस्थ ने कहा, “ऎसा है तो तुम अपनी टोक री उठा कर ले आओ और सो जाओ।” मछुआरा अपनी टोकरी उठा लाया और फिर गहरी नींद सो गया। असल में जिससे हमें सच्चा प्यार होता है, उसके अवगुण हमें कभी नजर नहीं आते।