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नवरात्रों में इन तीन देवियों की पूजा से घर में हमेशा बनी रहती है सुख-समृद्धि व धन की त्रिवेणी

Published: Oct 06, 2016 04:29:00 pm

Submitted by:

dilip chaturvedi

नवरात्रों में इस पाठ के करने से बजरंग बली की अतिप्रसन्न होते हैं और जल्द उनकी कृपा मिलती है…

durga pooja

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जयपुर। वैसे तो नवरात्रों में नौ दिन तक लगातार अलग देवियों की पूजा-अर्चना का विधान है, लेकिन शास्त्रों में नवरात्रों के दौरान मां दुर्गा के साथ मां पार्वती, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती देवी का पूजा का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि सम्‍पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति का मूल कारण शक्ति हैं, जिन्हें ब्रम्‍हा, विष्‍णु व शिव तीनों ने मिलकर मां नवदुर्गा के रूप में श्रृजित किया था, इसलिए मां दुर्गा में ब्रम्‍हा, विष्‍णु व शिव का तेज है। ऐसे में नवरात्रों को तीन भागों में बांटा गया है। इन तीनों भागों का मां पार्वती, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती प्रतिनिधित्व करती हैं। इस विधान के अनुसार यदि पूजा-अर्चना व उपासना करेंगे, तो इसका अभीष्ट फल मिलता है। घर में कभी पैसों की कमी नहीं रहती, जबकि हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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गौरतलब है कि नवरात्रि साल में चार बार पौष, चैत्र, आषाढ़ व अश्विन माह की प्रतिपदा यानी एकम् से नवमी तक का समय होता है, लेकिन चैत्र मास व आश्विन मास की नवरात्रि को ही ज्यादा महत्व दिया जाता है, जबकि दिपावली से पहले आने वाली आश्विन मास की नवरात्रि को भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्व प्राप्त है क्योंकि पितृपक्ष के 16 दिनों की समाप्ति के बाद आश्विन मास की नवरात्रि का पदार्पण होता है और इसी नवरात्रि से सम्पूर्ण भारत में लगातार त्योहारों का समय शुरू हो जाता है, जो कि दिवाली के बाद लाभ पांचम और इससे भी आगे छोटी दिपावली तक चलता है और इसीलिए आश्विन मास की इस नवरात्रि को हिन्दु धर्म में अति महत्वपूर्ण माना गया है।




नवरात्रि शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों नव व रात्रि का संयोजन है, जो इस त्यौहार के लगातार नौ रातों तथा दस दिनों तक मनाए जाने को इंगित करता है। भारतीय संस्कृति के अनुसार दुर्गा का मतलब जीवन के दु:ख को हटाने वाली होता है और नवरात्रि, मां दुर्गा को अर्पित एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है, जिसे सम्पूर्ण भारतवर्ष में अत्यधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। 


नवरात्रों में सुंदरकाण्ड के पाठ से बजरंग बली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। सुदरकांड का पाठ हमेशा रात्रि में 9 बजे के बाद करना चाहिए। इस समय हनुमानजी सीधे अपने भक्तों से साक्षात होते हैं।

हम आपको बात दें कि नवरात्रि का त्यौहार मूलत: मां दुर्गा के तीन मुख्य रूपों पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती को समर्पित किया गया है और इन तीनों देवियों को नवरात्रि के तीन-तीन दिन के समूहों में विभाजित किया गया है।


नवरात्रि के प्रथम तीन दिन के समूह को देवी दुर्गा को समर्पित किया गया हैं, जो कि शक्ति और ऊर्जा की देवी हैं और मान्यता ये है कि मां दुर्गा के इन तीन दिनों की आराधना से मनुष्यों को शक्ति व ऊर्जा की प्राप्ति होती है, जिससे वे अपने जीवन में मनचाहे कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं।


नवरात्रि के अगले तीन दिन के समूह को देवी लक्ष्मी को समर्पित किया गया है, जो कि धन और समृद्धि की देवी है और मान्यता ये है कि मां दुर्गा के इन तीन दिनों की पूजा-अर्चना व आराधना से घर में कभी भी धन व समृद्धि की कमी नहीं होती, जबकि नवरात्रि के अंतिम तीन दिनों के समूह को देवी सरस्वती को समर्पित किया गया है और मान्यता ये है कि मां दुर्गा के इन तीन दिनों में की गई आराधना से भौतिक व अध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है, जो कि जीवन को उचित दिशा में ले जाने में सहायक होती हैं।


नवरात्रि के अन्तिम तीन दिनों को मां सरस्वती को इसीलिए समर्पित किया गया है ताकि पहले तीन दिनों में प्राप्त होने वाली उर्जा व शक्ति तथा अगले तीन दिनों में प्राप्त होने वाली धन व समृद्धि को न्यायपूर्ण तरीके से केवल ज्ञान द्वारा ही नियंत्रण में रखा जा सकता है और हिन्दु धर्म के अनुसार मां सरस्वती, ज्ञान की देवी हैं।

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