आत्महत्या करने के बाद आपकी आत्मा के साथ क्या होता है?
Published: Apr 03, 2016 01:44:00 pm
दुनिया के अधिकतर धर्मों में कहा गया है कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति की आत्मा पर शैतान अधिकार कर लेता है
हाल ही में टीवी कलाकार प्रत्युषा बनर्जी की आत्महत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इन सवालों से परे एक आध्यात्मिक सवाल भी जेहन में उठता है कि आत्महत्या करने के बाद इंसान की आत्मा के साथ क्या होता है? दुनिया भर के धर्मों ने इसे अपने-अपने तरीके से समझाने की चेष्टा की है।
हिंदू धर्म और अन्य धर्मों में है आत्महत्या को लेकर विरोधाभास
दुनिया के अधिकतर धर्मों में कहा गया है कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति की आत्मा पर शैतान अधिकार कर लेता है तथा उसे नर्क की आग में हजारों साल तक जलाता है। हिंदू धर्म में इन धर्मों से अलग कई बातें कही गई हैं। आइए जानते हैं आत्महत्या से जुड़ी ऐसी ही कुछ मान्यताएं जिनके आधार पर आदमी की मौत के बाद का जीवन निर्धारित होता है।
आत्महत्या के बाद भी मिल सकता है मोक्ष
हिंदू धर्म के अनुसार व्यक्ति की मौत के बाद का जीवन पूरी तरह से उसके कर्म तथा उसकी इच्छाओं पर निर्भर करता है। अगर आदमी ने अच्छे कर्म किए हैं तथा उसकी कोई भी इच्छा अधूरी नहीं रही है तो आदमी आत्महत्या के बाद भी मुक्त हो सकता है। उसे स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है या फिर वह अगले जीवन की यात्रा के लिए रवाना हो सकता है। परन्तु यह तभी हो पाता है जब उस व्यक्ति की उम्र पूरी हो चुकी हो या उसने किसी परमार्थ के लिए ऐसा किया हो।
इस स्थिति में आत्महत्या के बाद बन जाते हैं भूत-प्रेत
यदि आत्महत्या करने वाला व्यक्ति अत्यन्त विवश होकर आत्महत्या कर रहा है तथा उसकी कोई इच्छा अधूरी रह गई है तो उसकी आत्मा मुक्त नहीं हो पाती। ऐसी स्थिति में उसकी आत्मा किसी नीच योनि यथा भूत, प्रेत, पिशाच जैसी किसी योनि में प्रवेश कर जाती है तथा अपनी उम्र पूरी होने तक इन्हीं योनियों में बंध कर लोगों को पीड़ित करती रहती है। प्रायः वे अपनी अधूरी इच्छाएं पूरी करने के लिए कई बार किसी दूसरे मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं तथा उनके माध्यम से अपनी इच्छापूर्ति करती हैं।
आत्मा की इस अवस्था को नर्क भी कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति होती है जहां ऐसा अनुभव होता है कि किसी पक्षी को जाल में कसकर बांध दिया गया है। ऐसी स्थिति में दुख, पीड़ा और अंधकार के अलावा आदमी को कुछ भी हासिल नहीं होता है। भगवान भी अनमोल मनुष्य जीवन की कद्र नहीं करने वालों की परवाह नहीं करते, हां, उनके अच्छे कर्म जरूर उनकी मुक्ति में सहायक सिद्ध होते हैं।
आत्महत्या के बाद इन उपायों से होती है आत्मा की मुक्ति
जो लोग अधूरी इच्छाओं के चलते आत्महत्या या किसी अन्य कारण से हुई मृत्यु के पश्चात मुक्त नहीं हो पाते या किसी नीच योनि में बंध जाते हैं, उनकी मुक्ति के लिए शास्त्रों में अनेकों उपाय बताए गए हैं। इन्हीं में कुछ उपाय इस प्रकार हैं-
(1) मृत आत्मा हेतु तर्पण करना- इसमें किसी विद्वान पंडित को बुलाकर मृत आत्मा की शांति तथा मोक्ष के लिए तर्पण व पिंडदान किया जाता है। इससे मृतक की आत्मा को आगे की यात्रा हेतु बल तथा शांति प्राप्त होती है।
(2) मृतात्मा की शांति हेतु सदकर्म करना- इसमें मृतात्मा की शांति हेतु सदकर्म यथा रामायण का पाठ, गीता पाठ या भागवत पाठ आदि कराए जाते हैं। इनसे भी मृत व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति प्राप्त होती है।
(3) मृतात्मा की अधूरी इच्छा को पूर्ण करना- मोक्ष उन्हीं लोगों को नहीं हो पाता जिनके मन की कोई न कोई इच्छा अधूरी रह जाती है। ऐसी स्थिति में मृत व्यक्ति की अधूरी इच्छा जैसे बच्चों की पढ़ाई लिखाई, बढ़िया रहन सहन आदि को पूरा करने का प्रयास करने से भी वह आत्मा मुक्त होकर अपनी आगे की यात्रा पर निकल जाती है।