एकादशी तिथि की दोपहर को सालिगरामजी की मूर्ति को स्थापित किया जाता है, जिसकी स्थापना के लिये किसी ब्राह्मण को बुलाना चाहिए। ब्राह्मण को बुलाकर उसे भोजन कराना चाहिए और दक्षिणा देनी चाहिए। बनाये गये भोजन में से कुछ हिस्से गौ को भी देने चाहिए और भगवान श्रीविष्णु की धूप, दीप, नैवेद्ध आदि से पूजा करनी चाहिए। एकादशी रात्रि में सोना नहीं चाहिए। पूरी रात्रि जागकर भगवान विष्णु का पाठ या मंत्र जाप करना चाहिए अन्यथा भजन, कीर्तन भी किया जा सकता है। अगले दिन प्रात: स्नान आदि कार्य करने के बाद ब्राह्मणों को दक्षिणा देने के बाद ही अपने परिवार के साथ मौन होकर भोजन करना चाहिए। इन्दिरा एकादशी के व्रत को कोई भी व्यक्ति मन से करता है, तो उसके पूर्वज अवश्य स्वर्ग को जाते है।
“अब आप पा सकते हैं अपनी सिटी की हर खबर ईमेल पर भी – यहाँ क्लिक करें”