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“गांधीजी के पोस्टमैन” 118 की उम्र में जगा रहे वेदों की अलख!

Published: Apr 20, 2015 11:24:00 am

उम्र 118 साल और दैनिक क्रियाकलाप में कोई तकलीफ नहीं। धर्म-ध्यान के प्रति
अगाध आस्था और श्रद्धा। सुनाई कम देता है, लेकिन प्रवचन में पारंगत हैं

बेंगलूरू। उम्र 118 साल और दैनिक क्रियाकलाप में कोई तकलीफ नहीं। धर्म-ध्यान के प्रति अगाध आस्था और श्रद्धा। सुनाई कम देता है, लेकिन प्रवचन में पारंगत हैं। शारीरिक ऊर्जा कम होने की वजह से व्हील चेयर का इस्तेमाल करते हैं। ये हैं बेंगलूरू (कर्नाटक) के वयोवृद्ध पंडित आचार्य सुधाकर चतुर्वेदी, जिन्हें चारों वेदों की ऋचाएं कंठस्थ हैं।

हालांकि पं.चतुर्वेदी की उम्र को लेकर लोगों में संशय है, लेकिन परिजनों का दावा है कि उनका जन्म वर्ष 20 अप्रेल 1897 को श्रीरामनवमी के दिन कर्नाटक के तुमकुर जिले के क्यातशंद्र में हुआ था। ये श्रीश्री रविशंकर के पहले शिक्षक थे।

स्वतंत्रता संग्राम में 31 बार गए जेल जाने वाले चतुर्वेदी को महात्मा गांधी के लिखे पत्रों को अक्सर वायसराय या गवर्नर जनरल तक पहुंचाने का जिम्मा मिला था। इस कारण उन्हें गांधीजी का पोस्टमैन भी कहा जाता था। कई पुरस्कार हासिल चतुर्वेदी करीब 40 किताबें लिख चुके हैं।
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