AIPMT परिणाम के लिए करना होगा इंतजार, SC ने सुरक्षित रखा फैसला
सीबीएसई ने एफिडेविट भर कर कोर्ट से मेरिट लिस्ट जारी करने की मांगी
थी इजाजत
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एआईपीएमटी के परिणाम की घोषणा पर लगे स्टे ऑर्डर पर अपना फैसला सोमवार तक के लिए सुरक्षित रखा है। यानी कि अब 15 जून को ही यह पता चल सकेगा कि सुप्रीम कोर्ट सीबीएसई को परिणाम घोषित करने की अनुमति देता है या एआईपीएमटी की परीक्षा फिर से आयोजित की जाती है। इससे पहले सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की थी कि तमाम गड़बडियों के बावजूद वह ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) को रद्द न करें। सीबीएसई का कहना था कि परीक्षा में नकल करने वाले अभ्यर्थियों को एडमिशन मिलने के बाद भी बाहर किया जा सकता है। सीबीएसई ने एफिडेविट भर कर कोर्ट से मेरिट लिस्ट जारी करने की इजाजत भी मांगी थी, ताकि 2015-16 सत्र के लिए एडमिशन की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
गौरतलब है कि एआईपीएमटी के लिए 5 जून को परिणाम घोषित किया जाना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने परिणाम पर स्टे लगा दिया था। इसके पीछे कारण था 3 मई को परीक्षा के दौरान हुई अनियमितताओं के मद्देनजर छात्रों और अभिभावकों की ओर से दोबारा परीक्षा करवाने की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर करना। इस मामले में देशभर में अब तक कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और कुछ अभ्यर्थियों के पास से नकल का सामान भी बरामद किया गया है।
उधर सीबीएसई ने एफिडेविट में लिखा, “3 मई को ली गई परीक्षा का परिणाम घोषित करने के बाद भी पुलिस अपनी जांच प्रक्रिया को जारी रख सकती है और जिन्हें इस मामले में दोषी पाया जाएगा उन पर बोर्ड नियमों के मुताबिक एक्शन ले सकता है।” दोबारा परीक्षा आयोजित करने में कठिनाइयां गिनाते हुए सीबीएसई ने कहा कि इसके लिए उन्हें कम से कम 120 दिनों का समय चाहिए, जिसके तहत देशभर में 1060 परीक्षा केंद्रों पर अवेलेबिलिटी, पुलिस फोर्स, इनविजिलेटर्स और अन्य स्टाफ की जरूरत होगी। इसके अलावा अगर 30 सितंबर से पहले पहले प्रवेश प्रक्रिया पूरी न की गई तो एमबीबीएस/बीडीएस कोर्स की आइटिनरेरी पर असर पड़ेगा क्योंकि सेशन देरी से शुरू होने से क्लासें कम लग सकेंगी।
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