पार्षदों ने मेयर से पूछा- निजी स्कूलों पर इतना करोड़ रुपया है बकाया, इन्हें इस Tax में छूट क्यों?
निगम के सामान्य सभा की बैठक में गरमाया दखल शुल्क, निजी स्कूलों का संपत्ति कर व अटल आवास का मुद्दा
अंबिकापुर. नगर निगम के सामान्य सभा की बैठक सोमवार को सरगुजा सदन में आयोजित की गई। सामान्य सभा में दखल शुल्क मामले को लेकर एक बार फिर से महौल गर्म रहा। निजी स्कूलों से लगभग डेढ़ करोड रुपए का संपत्ति कर नहीं वसूले जाने पर जमकर बहस हुई। विपक्ष व सत्तापक्ष के कुछ पार्षदों ने स्कूलों को इसका छूट दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि जब तक ऑडिट रिपोर्ट निगम में जमा नहीं कर दी जाती है। नोटिस देकर इन स्कूलों से संपत्ति कर वसूली जानी चाहिए।
सरगुजा सदन में सोमवार को नगर निगम के सामान्य सभा की बैठक आयोजित की गई। बैठक के शुरू होते ही स्थाई दखल शुल्क का मुद्दा सत्तापक्ष के पार्षद आलोक दुबे ने उठाया। उनके द्वारा इस संबंध में जांच कमेटी बनाकर जांच कराने और संबंधित के खिलाफ 15 दिनों के अंदर एफआईआर कराने की बात कही गई थी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 से मार्च 2017 तक कितनी दखल शुल्क वसूली की गई और कितनी राशि निगम में जमा की गई। इसपर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसपर एमआईसी सदस्य राजस्व विजय सोनी ने बताया कि जांच कमेटी बनाई गई है उसके रिपोर्ट प्राप्त होते ही उचित कार्रवाई की जाएगी।
इसपर उन्होंने महापौर से जवाब मांगा। महापौर डा. अजय तिर्की ने कहा कि इसकी जानकारी नवनियुक्त आयुक्त को भी दी गई है। उनके द्वारा उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग के जिन भी कर्मचारियों के खिलाफ आरोप लगे हैं उन्हें आरोप पत्र तैयार कर भेजा गया है। 15 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है। आरोप पत्र मिलने के बाद अधिकांश लोगों ने शुल्क की राशि जमा कर दी है।
जवाब मिलने के बाद सभी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद पार्षद संजय अग्रवाल द्वारा अटल आवास के संबंध सवाल पूछे गए। इसका जो जवाब निगम के अधिकारियों द्वारा दिया गया उससे वे पूरी तरह से असंतुष्ट नजर आए। उन्होंने कहा कि अटल आवास आज असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका है। जो जरूरतमद हितग्राही है उन्हें आज तक कब्जा नहीं दिया गया है।
पार्षद मधुसूदन शुक्ला ने कहा कि जिन पात्र हितग्राहियों द्वारा वर्ष 2009 में मकान के लिए रसीद कटाया था। उन्हें आज तक मकान आबंटित नहीं किया गया है। जबकि मकान के लिए वे निगम कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं।
इसके साथ ही उन्होंने अटल आवास से निगम को प्राप्त राजस्व पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि अब तक 8 लाख रुपए ही निगम में जमा किए गए हैं जबकि इतने वर्ष में 65 से 70 लाख रुपए जमा होना चाहिए। इसकी जांच होनी चाहिए और संबंधित लोगों से कब्जा खाली करवाकर पात्र हितग्राहियों को मकान का कब्जा दिलाया जाए। महापौर ने कहा कि अटल आवास की समस्या काफी समय से चली आ रही है।
यहां काफी गलत काम भी हो रहे हैं। इसमें जांच भी होनी चाहिए। नए सिरे से जांच कराकर निर्णय लिया जाएगा। इसपर मधुसूदन शुक्ला व संजय अग्रवाल ने एक समय-सीमा तय करने की बात कही। महापौर ने समस्या के निपटारे के लिए 15 दिन का समय मांगा और कहा कि कार्रवाई के दौरान कोई भी पैरवी नहीं करेगा। इसपर सभी ने अपनी सहमति दी।
सभापति शफी अहमद ने कहा कि चूंकि अटल आवास कमेटी की अध्यक्ष कलक्टर हैं, उन्हें एक पत्र लिखा जाए और उचित कार्रवाई करने की मांग की जाएगी। वहां से अनुमति मिलने के बाद कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
व्यवसायिक परिसर से ले रहे हैं संपत्ति कर
पार्षद आलोक दुबे ने कहा कि मनेन्द्रगढ़ रोड व बनारस रोड के कुछ क्षेत्र जिन्हें अभी निगम में शामिल किया गया है। उसमें कई बड़े-बड़े काम्पलेक्स व व्यवसायिक परिसर हैं। लेकिन राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी आज तक उनसे मामूली कर वसूल रहे हैं, इससे निगम को राजस्व की क्षति हो रही है। इसपर अलग से पार्षदों व अधिकारियों की एक कमेटी बनाकर जांच कराने की बात कही गई।
निजी स्कूलों से संपत्ति कर वसूलने को लेकर हुई बहस
पार्षद संजय अग्रवाल द्वारा शहर में संचालित निजी स्कूलों सेे संपत्ति कर क्यों नहीं वसूला जा रहा है और अब तक कितना कर बकाया है इसकी जानकारी मांगी गई थी। इसपर उन्हें बताया गया कि निजी स्कूलों को कर से छूट केे लिए अब तक कोई संकल्प पारित नहीं किया गया है।
लेकिन लगभग डेढ़ करोड से अधिक का शुल्क उनपर बकाया है। इसपर संजय अग्रवाल ने कहा कि स्कूलों द्वारा शहर के अभिभावकों का दोहन किया जा रहा है और हम उन्हें कर में छूट प्रदान करने की बात कहें तो बेमानी होगी। इसपर महापौर ने प्रवधानों का हवाला देते हुए कहा कि सामाजिक संस्थानों, धार्मिक स्थलों व स्कूलों को संपत्ति कर में छूट देने का प्रावधान है।
लेकिन इसके लिए संस्थानों को नो-प्राफिट, नो-लॉस का ऑडिट रिपोर्ट पेश करना होगा। इसपर पार्षद आलोक दुबे ने कहा कि जब अभी तक इन संस्थानों ने आडिट रिपोर्ट पेश नहीं किया है तो उनसे कर की वसूली की जानी चाहिए। क्योंकि सभी शैक्षणिक संस्थान अभिभावकों से अनाप-शनाप शुल्क वसूल रहे हैं। ऑडिट रिपोर्ट भी ये सीए से मनमाफिक बनवा लेंगे। इनकी ऑडिट रिपोर्ट की जांच भी होनी चाहिए।
क्योंकि अगर इन्हें फायदा नहीं हो रहा है तो ये अपनी संस्थान का विस्तार किस मद से कर रहे हैं। पार्षद विकास वर्मा ने सभापति के समक्ष प्रस्ताव रखा कि संपत्ति कर जब तक वसूला नहीं जाता है। इन संस्थानों में निगम कर्मचारियों के बच्चों को निशुल्क प्रवेश दिलाया जाए। जिसपर सभापति ने सभी स्कूलों को प्रस्ताव बनाकर भेजे जाने की बात कही।
बस स्टैंड व चौक का किया नामकरण
भोजन अवकाश से पूर्व स्व. रविशंकर त्रिपाठी व डा. राजेन्द्र प्रसाद के नाम पर चौक के नामकरण का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इसके बाद पार्षद सीमा सोनी ने प्रतीक्षा बस स्टैंड का नाम एमएस सिंहदेव के नाम पर किए जाने की बात कही। इसपर पार्षद करता राम गुप्ता ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि बस स्टैंड का नाम पूर्व में राज्य सरकार द्वारा रखा गया है, उसे न बदला जाए।
भोजनावकाश के बाद पुन: हेमंत सिन्हा ने बस स्टैंड का नाम एमएस सिंहदेव के नाम पर रखे जाने का प्रस्ताव पेश किया गया। इसपर पार्षद मधुसूदन शुक्ला ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि शहर के सभी चौक-चौराहों का नामकरण किया जाना चाहिए और इसमें जिले के ऐसे लोग जो अबतक किसी न किसी क्षेत्र में अपना योगदान दिए हैं उनके नाम पर रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बाबू सिंह, मदनगोपाल सिंह, ताराचंद अग्रवाल, डॉ सत्यनारायण त्रिपाठी, कपिलनारायण सिंह, रेवती रमण मिश्र के नाम पर भी चौक का नामकरण किया जाए। प्रतीक्षा बस स्टैंड का नामकरण एमएस सिंहदेव के नाम पर किए जाने हेतु बहुमत के आधार पर प्रस्ताव निगम में पारित किया गया।
अमृत मिशन के तहत दो उद्यान पूर्ण
अमृत मिशन के तहत तीन कार्यों की स्वीकृति अब तक मिल चुकी है। इसके तहत घुनघुट्टा परियोजना के काम का निविदा हो चुका है। बारिश के बाद ठेकेदार द्वारा काम शुरू कर दिया जाएगा। महापौर ने बताया कि मिशन चौक व गांधीनगर स्वीमिंग पुल के पीछे उद्यान का निर्माण पूर्ण करा लिया गया है।