पहली बार ‘विधानसभा’ की तर्ज पर हुई ‘सामान्य सभा’, गरम रहा सदन का माहौल
अधिकांश सवालों से असंतुष्ट नजर आए पार्षद, सबसे अधिक 32 सवाल लोक
निर्माण विभाग से पूछे गए, सभापति के सामने बैठे विपक्ष के पार्षद तो
महापौर अधिकारियों पर भड़के
अंबिकापुर. विधानसभा की तर्ज पर पहली बार निगम की सामान्य सभा हुई। इसमें पार्षदों द्वारा 48 प्रश्न सदन में पेश किए गए थे। उसमें से पांच प्रश्न निरस्त किए गए, जबकि 43 प्रश्नों के जवाब दिए गए। इसमें से अधिकांश सवालों के जवाब एमआईसी सदस्यों द्वारा गोलमोल दिए गए। इससे सदन का माहौल भी गरमाया रहा। जिन सवालों के पूरे जवाब नहीं दिए जा सके उसके जवाब अगली सामान्य सभा की बैठक में प्रस्तुत करने के निर्देश सभापति ने दिए।
सरगुजा सदन में बुधवार को सामान्य सभा की बैठक पहली बार विधानसभा की तर्ज पर आयोजित की गई। सभा में 43 प्रश्नों पर चर्चा हुई। इसमें से अधिकांश सवाल जो पार्षदों द्वारा पूछे गए थे, वह स्पष्ट नहीं होने की वजह से एमआईसी सदस्य जवाब देने से बचते नजर आए।
बाद में नेता प्रतिपक्ष जन्मजेय मिश्रा ने कहा कि पहली बार विधानसभा की तर्ज पर प्रश्नकाल आयोजित किया गया है। इस पर कोई कार्यशाला नहीं हुई है। जबकि इस संबंध में कहा जा चुका है कि पार्षदों की एक कार्यशाला आयोजित कर उन्हें प्रश्र पूछने के तरीके से अवगत करा दिया जाए।
कुछ पार्षद अनुभव नहीं होने की वजह से अपने शब्दों को ठीक तरह से नहीं प्रस्तुत कर पाए हैं। इससे उसका मजाक न उड़ाया जाए। सबसे अधिक सवाल लोक निर्माण विभाग से पूछे गए थे। जबकि सबसे कम सवाल शिक्षा विभाग से किए गए।
सभा दोपहर 12.30 बजे शुरू हुई। पहला सवाल 12.45 बजे किया गया। सभापति द्वारा यह कहा गया उनके द्वारा सवालों को क्रमानुसार प्रस्तुत करने को कहा गया है। अगर किसी को आपत्ति है तो उनके द्वारा नोटिफिकेशन के अनुसार लाटरी पद्धति से सवाल पूछने की व्यवस्था की जाएगाी। लेकिन सभी पार्षदों की सहमति पर क्रमानुसार सवाल प्रस्तुत किए गए।
सामान्य सभा में पार्षद हेमंत सिन्हा, द्वितेन्द्र मिश्रा, नुरूल अमीन सिद्दीकी, विजय सोनी, मनोज कंसारी, निरंजन राय, श्वेता गुप्ता, अनुराधा गोस्वामी, सीमा सोनी, सरिता सिंह, नीतू शर्मा, उर्मिला सोनी, पपिन्दर सिंह, बबन सोनी, शैलेष सिंह, संतोष दास, रमेश जायसवाल सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
स्वच्छता मिशन पर फूंक दिए लाखों रुपए पार्षद मधुसूदन शुक्ला ने सवाल किया कि स्वच्छता मिशन पर पूर्व में सत्यमेज जयते फेम श्रीनिवासन को सिर्फ आने-जाने का खर्चे दिए जाने की बात हुई थी। लेकिन उन्हें किसके अनुमति से 17 लाख 59 हजार रुपए का भुगतान किया गया। इसके साथ ही मां महामाया इन्टरप्राइजेज को फस्र्ट एड बॉक्स, चाकू, मग के लिए 11 लाख 78 हजार 685 रुपए का भुगतान किया गया है। इसके साथ ही सालासर इन्टरप्राइजेज को जूता, मोजा, ड्रेस व रेनकोर्ट के लिए 16 लाख 88 हजार 940 रुपए का भुगतान किया गया है। इसपर सभापति ने अलग से विषय वार प्रश्न लगाने को कहा। मधुसूदन शुक्ला ने स्वच्छता के लिए पिछले एक वर्ष से ठेका नहीं किया जाना और लगातार तीन-तीन माह के लिए अनुबंध को बढ़ाना कहीं न कहीं भ्रष्टाचार को साबित करता है।
सभापति के सामने बैठ गए विपक्ष के पार्षद
गुदरी बाजार की व्यवस्था को लेकर पिछले तीन सामान्य सभा में पार्षद परमवीर सिंह बाबरा द्वारा सवाल किए जा रहे हैं। इस बार भी उन्होंने जो सवाल पेश किए थे, वे गुदरी बाजार में स्थायी दखल शुल्क को लेकर प्रस्तुत किए थे। उन्होंने सभापति को बाजार में बैठने वाले लोगों से जो स्थायी शुल्क वसूला जा रहा है।
उसकी रसीद दिखाकर फिर से सवाल किए और इस संबंध में कार्रवाई किए जाने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि बाजार में शुल्क नहीं वसूला जाता है। इस संबंध में जो बोर्ड लगाया गया है, वह भी ऐसी जगह लगाया गया हैं जहां किसी को भी बोर्ड दिखाई नहीं देता है। इसके बाद सभी विपक्षी पार्षद सभापति के सामने जमीन पर बैठ गए और जब तक उचित कार्रवाई नहीं हो जाती है तब तक नहीं उठने की बात कही।
इसी दौरान सतापक्ष के पार्षद आलोक दुबे ने भी बाजार शुल्क पर आरोप लगाते हुए कहा कि राजस्व प्रभारी व निरीक्षक द्वारा ही दखल शुल्क वसूला जाना चाहिए। लेकिन कुछ अपराधिक प्रवृत्ति के युवकों से शुल्क वसूलवाया जा रहा है। उन्होंने इस संबंध में बताया कि उनके द्वारा प्रमाण प्रस्तुत किए जा रहे हैं अगर गलत हो जाएं तो वे इस्तीफा दे देंगे। सभापति शफी अहमद ने बाजार प्रभारी के अध्यक्षता में संयुक्त जांच कमेटी बनाकर जांच कराने की बात कही और कहीं पर गलती पाए जाती है तो संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
अधिकारियों पर भड़के महापौर प्रश्नकाल सामाप्त होने के बाद सामान्य सभा के एजेंडे पर चर्चा शुरू हुई। महापौर डा. अजय तिर्की ने सदन में अपनी पीड़ा रखी।उन्होंने बताया कि निगम आयुक्त हो या फिर कर्मचारी कोई भी एमआईसी अथवा सामान्य सभा के बैठक में लिए गए निर्णयों के पालन करने में रुचि नहीं दिखाते हैं। इसमें कोई दलगत बात नहीं है। सदन की गरिमा है।
अधिकारियों द्वारा गलत परिपाटी शुरू की जा रही है। अधिकारियों द्वारा सिर्फ स्वच्छता पर ध्यान दिया जा रहा है, जबकि नगर में अन्य और कार्य हैं। इनके पूरा नहीं होने से जनप्रतिनिधियों की किरकिरी हो रही है।
सभापति ने इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए कहा कि त्यौहार के बाद सामान्य सभा व एमआईसी के बैठक में जो भी निर्णय लिए गए हैं, उनकी क्रियान्वयन की समीक्षा की जाएगाी और अब से कोई भी बात किसी अधिकारी द्वारा नहीं पूरी की जाती है तो उसके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हेतु अनुशंसा राज्य सरकार को प्रेषित की जाएगाी।
कई पार्षदों को दिए गए लिखित जवाब कई पार्षदों द्वारा काफी बड़े-बड़े सवाल किए गए थे। उनके जावब लिखित में दिए गए। लेकिन लिखित जवाब से असंतुष्ट नजर आए पार्षदों द्वारा आपत्ति दर्ज कराते हुए आंकड़े प्रस्तुत करने को कहा गया।
सभापति ने की थी पहल विधानसभा की तर्ज पर निगम की सामान्य सभा की बैठक आयोजित की जाए और उसमे प्रश्नकाल का सेशन रखा जाए। इसके लिए रायपुर में आयोजित जनप्रतिनिधियों की कार्यशाला में सभापति शफी अहमद ने नगरीय मंत्री के समक्ष इस संबंध में सुझाव रखे गए थे। इसके बाद ही सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए सामान्य सभा की बैठक में प्रश्रकाल की व्यवस्था की। इस पहल की सभी पार्षदों ने सराहना की।
अपने ही पार्षद से घिर गया सत्तापक्ष कांग्रेसी पार्षद आलोक दुबे ने जहां सामान्य सभा में स्थायी दखल शुल्क पर घेरते हुए साक्ष्य प्रस्तुत किए। वहीं स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर में निर्माण कराए गए शौचालय पर भी सवाल खड़े किए। इसपर वरिष्ठ एमआईसी सदस्य अजय अग्रवाल ने जवाब देते हुए बताया कि लगभग 6000 हजार भवनों का निर्माण किया जा चुका है और शेष का निर्माण कार्य चल रहा है।
गड़ईया पर हो सौन्दर्यीकरण पार्षद संजय अग्रवाल द्वारा पूछे गए गड़ईया के रकबा और उसपर क्या योजना है का जवाब देते हुए अजय अग्रवाल ने कहा कि गड़ईया चूंकि नजूल के अंर्तगत आता है। इसकी वजह से उसके आबंटन हेतु नजूल को लिखा गया है। लेकिन निगम द्वारा इसका निजी तौर पर सीमांकन किए जाने की जानकारी उन्हें दी गई और इसके आबंटन के लिए कलक्टर को पत्र लिखने की बात कही गई।