Sarguja में शिक्षा पर अरबों खर्च, लेकिन नहीं मिला कोई Meritorious
सरगुजाPublished: Apr 28, 2016 01:25:00 pm
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा जारी 10वीं बोर्ड की प्रावीण्य सूची में सरगुजा संभाग से कोई भी छात्र नहीं बना सका जगह
रामप्रवेश विश्वकर्मा. अंबिकापुर. आदिवासी बाहुल्य सरगुजा संभाग में शिक्षा के नाम पर शासन द्वारा प्रतिवर्ष अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद इसके परिणाम निराशाजनक ही हैं। गुरूवार को छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा 10वीं की प्रावीण्य सूची (मेरिट लिस्ट) जारी की गई। इस सूची ने सरगुजा संभाग के शिक्षा के स्तर की पोल खोलकर रख दी। विडंबना यह रही कि यहां का एक भी विद्यार्थी टॉप-10 के 28 छात्र-छात्राओं में अपना नाम दर्ज नहीं करा सका। 12वीं के बाद अब 10वीं में भी एक छात्र का मेरिट में नहीं होना सरगुजा की हाल-ए-शिक्षा बयां कर रहा है।
आदिवासी बाहुल्य सरगुजा संभाग के लिए 12वीं की तरह ही 10वीं बोर्ड का परिणाम भी निराशा लेकर आया। सीजी बोर्ड द्वारा जारी 28 मेरिट छात्र-छात्राओं की सूची में कोई भी विद्यार्थी अपना नाम दर्ज नहीं करा पाया। यह परिणाम सरगुजा संभाग के शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने लगा है। शासन द्वारा आदिवासी बाहुल्य इस इलाके के 5 जिलों पर अरबों रुपए प्रतिवर्ष पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, लेकिन 12वीं के बाद अब 10वीं के परिणाम ने इसकी कलई खोलकर रख दी है। मेरिट की सूची देखकर यह प्रतीत होता है कि शिक्षकों का ध्यान पढ़ाने पर कम ही रहा है। इससे विद्यार्थियों का भविष्य भी खराब हो रहा है।
अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को इन दिनों निजी स्कूलों में भेजकर अच्छी शिक्षा दिला रहे हैं। इसके लिए वे पढ़ाई पर मोटी रकम भी खर्च करते हैं। उन्हें इस बात का विश्वास होता है कि अच्छे स्कूल में पढ़कर उनका बेटा या बेटी मेरिट लिस्ट में जगह जरूर बनाएगा। सरकारी स्कूल में वे बच्चों को इसलिए नहीं भेजना चाहते कि भविष्य खराब हो जाएगा, लेकिन उनकी मंशा परिणाम देखने के बाद धरी की धरी रह गई। मेरिट लिस्ट में नाम दिलाने वाले इस बार सरगुजा संभाग के निजी स्कूलों की भी पोल खुल गई है। इनके द्वारा शिक्षा को मात्र व्यवसाय बनाकर रख दिया गया है।
शासन द्वारा अविभाजित सरगुजा जिले में शिक्षा पर प्रतिवर्ष अरबों रुपए खर्च किए जाते हैं। उसके बावजूद परीक्षा परिणाम काफी निराशाजनक सामने आ रहे हैं। इसमें भी निजी स्कूलों के परिणाम शासकीय स्कूलों पर भारी पड़ रहे हैं। वहीं किसी न किसी मांगों को लेकर शिक्षकों व शिक्षाकर्मियों के हड़ताल पर रहने की वजह से भी पूरे वर्ष भर पढ़ाई प्रभावित रही। इसका भी खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ा।
सरगुजा – 1.50 अरब रुपए
सूरजपुर – 1.50 अरब रुपए
बलरामपुर – 1.25 अरब रुपए
शिक्षाकर्मियों की संख्या
सरगुजा – 5913
सूरजपुर – 5571
बलरामपुर – 5210
शासन द्वारा इस वर्ष सत्र के बीच में ही अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया की गई। इससे स्कूलों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होने का दावा जरूर किया जा रहा है। लेकिन एक शिक्षाकर्मी के युक्तियुक्तकरण को रुकवाने के लिए पूरा संघ व शिक्षाकर्मी जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में नजर आते थे। इससे भी बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई।
शासन द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी की नियुक्ति जिले में शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान देने के लिए की जाती है। ताकि कम से कम बोर्ड के रिजल्ट प्रभावित न हों। यह भी ध्यान देना होता है कि एक विद्यार्थी तो मेरिट लिस्ट में जिले से हो ही। लेकिन सरगुजा के जिला शिक्षा अधिकारी पूरे वर्ष अन्य कार्यों में व्यस्त नजर आते हैं।
एक्सपर्ट व्यू
सेवानिवृत्त व्याख्याता केदारनाथ वर्मा का कहना है कि पहले की अपेक्षा शिक्षा का स्तर गिरा है। इसके साथ ही टीचिंग में काफी खामियां देखी जा रही है। पूरी शिक्षा व्यवस्था शिक्षाकर्मियों के भरोसे संचालित की जा रही है। इसका भी असर शिक्षा पर पड़ा है। शासन को चाहिए की शिक्षा का स्तर सुधारने की पहल करे। विशेषज्ञ शिक्षकों का भी भारी अभाव है। वहीं बच्चे भी ज्यादा ध्यान कोचिंग क्लास में लगा रहे हैं और अभिभावक भी उनके तरफ ध्यान देने की बजाय उन्हें कोचिंग में भेज अपनी जिम्मेदारी को पूरी कर रहे हैं। इसका भी असर शिक्षा पर पड़ा है।