वाईफाई ने ली किशोरी की जान, वाईफाई से हुई एलर्जी से परेशान होकर की आत्महत्या
Published: Dec 01, 2015 04:09:00 pm
दुखी जैनी फ्राय को गंभीर सरदर्द, थकान और विद्युत
अतिसंवेदनशीलता (EHS) के जरिए आयी ब्लैडर से संबंधित समस्याओं का सामना
करना पड़ा रहा था।
दुखी जैनी फ्राय को गंभीर सरदर्द, थकान और विद्युत अतिसंवेदनशीलता (EHS) के जरिए आयी ब्लैडर से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा था।जांच के अनुसार 15 साल की जैनी की माू डैब्रा ने बताया कि उसको यह सब इसलिए हो रहा था क्योकि उसके स्कूल में वाईफाई था। और जैनी को वाईफाई से एलर्जी थी।जैनी का मृत शरीर आॅक्सन के चाडलिंग्टन में उसके घर के नजदीक एक पेड़ पर लटका हुआ मिला था। अपनी जान देने से एक दिन पहले उसने अपनी दोस्त को यह बताने के लिए मैसेज किया था कि वो उस दिन स्कूल नही आ रही। जैनी की मॉ और पिता चार्ल्स ने बताया कि उनकी बेटी के बिमार होने का कारण वाईफाई था।हॉलांकि उन्होने अपने घर से वाईफाई हटा दिया था। लेकिन जैनी के स्कूल चिप्पिंग नॉरटन स्कूल में वाईफाई का इस्तेमाल जारी था। जैनी की मॉ ने आॅक्सोफोर्डशायर कोरोनर्रस कोर्ट को बताया कि नवम्बर 2012 में जैनी में EHS के संकेत मिलने शुरु हो गए थे। उन्होने कहा कि “जैननी बिमार ही होती जा रही थी और साथ में मैं भी। मैने वाईफाई कितना खतरनाक हो सकता है, इस बारे मे काफी रिसर्च की। और उसके बाद मैने अपने घर से वाईफाई हटवा दिया। “उसके बाद से जैनी और मै घर पर तो ठीक रहते , लेकिन जैनी अपने स्कूल के कुछ हिस्सों में बिमार महसूस करती। “क्लास में ज्यादा डिटरबेंस और दुर्वव्यवहार के लिए उसे क्लास मे काफी डाट पड़ने लगी थी। लेकिन वो क्लास से बाहर निकल जाती और ऐसी जगह ढूंढती जहां वो आराम से काम कर सके। अपने स्कूल के कामों को बेहद गंभीरता से लेती थी। “मैने स्कूल के हेडटीचर साईमन डफ्फी को दिखाने के लिए काफी सारी सूचना इकठ्ठा कर ली थी। लेकिन उन्होने कहा कि ऐसी ही समान सूचना इस बात का भी दावा करती है कि वाईफाई सूरक्षित है। “मेरी स्कूल की अध्यापिकाओं से यह बताते हुए बहस हो गई थी कि जैनी को वाईफाई से एलर्जी है। तो कमरे में कैद करके रखना सही बात नही है। यह सजा उसे और भी ज्यादा बिमार कर रही थी। “वो जो कर सकते थे वो यह था कि वो उसे ऐसे कमरे में ले जाते जहां भी आराम से अपने काम पर ध्यान दे सकती थी। लेकिन उन्होने नही सुनी। “मुझे पूरा यकीन है कि जैनी अपनी जिन्दगी खत्म नही करना चाहती थी। मुझे लगता है कि वो स्कूल के कारण काफी परेशान थी। “उसे कोई डॉक्टर तो नही देख सकता था, लेकिन एक काउंसलर उसे देख रहा था, जो स्कूल में उसकी मदद कर रहा था। “उसने किसी भी तरीके का कोई सुझाव नही बनाया। वो आत्महत्या के बारे में सोच रही थी। मुझे विश्वास है कि वो मदद के लिए रो रही थी। “जैनी के माता पिता अब नर्सरीज और स्कूलों से वाईफाई हटाने के लिए कैम्पेनिंग कर रहे है। और सरकार को EHS का और भी परिक्षण करने के लिए उकसा रहे है। “मै अपने इस अभियान को और भी आगे ले जाउंगी ताकि लोगो को वाईफाई से होने वाले खतरे के बारे में बता सकूं। “मै टैक्नॉलिजी के खिलाफ नही हुं। लेकिन मुझे लगता है कि स्कूलों में पता होना चाहिए कि कुछ बच्चे काफी संवेदनशील हो सकते है और उन्हे वाईफाई का प्रयोग कम करना चाहिए।