बीमा के खेल में कोबरा फेल
रेल विद्युतीकरण में चल रहा बीमा का खेल,चोरी की एफआईआर दर्ज न होने से बौखलाई ठेका कंपनी ,क्लेम मिलने के बाद ही लगाते हैं दूसरा वायर
धीरेंद्र गुप्ता.सतना
रेल विद्युतीकरण का काम जिस रफ्तार से चल रहा है, उसे देखते हुए सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि तय वक्त पर बिजली वाली रेल नहीं दौड़ पाएगी। कई महीनों से सीआईपीएल कोबरा जेवी कंपनी को मिले इस काम में बीमा के लिए चोरी और ओएचई वायर फाल्ट करने का खेल चल रहा है। बात तब बिगड़ गई जब बीमा के खेल में कोबरा कंपनी के कुछ अफसर फेल होने लगे। आेएचई वायर चोरी होने और बदमाशों के जरिए काट दिए जाने की रिपोर्ट थाना में दर्ज होना बंद हो गई तो, स्थानीय स्तर पर काम कर रहे रेल विद्युतीकरण और ठेका कंपनी से जुड़े अफसर परेशानी में पड़ गए हैं।
क्लेम नहीं तो काम भी नहीं
ठेका कंपनी सीआईपीएल कोबरा जेवी ने यह तय कर रखा है कि ओएचई वायर चोरी होने या उसमें क्षति पहुंचने पर जब तक बीमा कंपनी से क्लेम नहीं मिलेगा, तब तक संबंधित लाइन में दूसरा वायर नहीं लगाया जाएगा। अब तक चार मामले एेसे सामने आ चुके हैं, जिसमें ओएचई वायर चोरी या क्षति पहुंचने पर थाना में एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी। एेसे में एक ओर जहां दूसरा वायर ठेका कंपनी बिना क्लेम के नहीं लगा रही, वहीं रेल विद्युतीकरण का समय बढ़ता जा रहा है।
क्या चोरी कराई जा रही है?
पुलिस और रेलवे के कुछ अधिकारियों में दबी जुबान इस बात की चर्चा है कि आर्थिक लाभ के लिए आेएचई वायर की चोरी कराई जा रही है। चर्चा एेसी भी है कि ओएचई वायर और रेल विद्युतीकरण से जुड़ा अन्य कीमती सामान चोरी होने या उसमें क्षति पहुंचने पर ठेका कंपनी को बीमा क्लेम से राहत मिल जाती है। वहीं दूसरी ओर लाखों रुपए कीमत की वायर को खुर्द बुर्द कर रेल विद्युतीकरण की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार निजी सुरक्षा एजेंसी, ठेका कंपनी के कुछ अफसर और सरकारी अधिकरी अपना स्वार्थ साध रहे हैं।
बरामद करने में छूटेगा पसीना
जिले के कुछ पुलिस अधिकारी नाम उजागर न करने की शर्त पर बताते हैं कि रेल विद्युतीकरण से जुड़े लोगों की मिली भगत से ही ओएचई वायर की चोरी और उसे क्षति पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इसकी भरपाई के लिए एफआईआर कराने और फिर बीमा कंपनी से क्लेम लेने की कवायद हो रही है। बताया गया है कि ओएचई वायर काफी मंहगा बिकता है। तार का एक बंच काट कर चोरी दिखाते हुए उसे बेचने पर लाखों का मुनाफा कमाया जाता है।
एफआईआर के लिए सिफारिश
जब तक ठेका कंपनी रेल विद्युतीकरण का काम पूरा करते हुए रेलवे को सुपुर्द नहीं कर देती, तब तक इस काम की किसी सम्पत्ति को रेल सम्पत्ति नहीं माना जा सकता। एेसे में रेल सुरक्षा बल अपराध कायम कर कार्रवाई भी नहीं कर सकता है। वहीं दूसरी ओर जिला पुलिस हर वक्त रेलवे लाइन की निगरानी नहीं कर सकती, जबकि इसकी जिम्मेदारी ठेका कंपनी ने निजी एजेंसी के हाथ में दे रखी है। जब जिले की पुलिस ने लाखों का ओएचई वायर चोरी होने और चोरी का प्रयास होने की एफआईआर दर्ज करना बंद कर दिया तो ठेका कंपनी और रेल विद्युतीकरण से जुड़े अफसरों में हड़कंप मच गया। इस बारे में आरपीएफ के सुरक्षा आयुक्त से ठेका कंपनी से जुड़े लोगों ने बात की, जिसके बाद मंडल स्तर से रेल सुरक्षा अधिकारियों ने पुलिस अधीक्षक सतना को गोपनीय पत्र लिखा है। दूसरी ओर ठेका कंपनी के अधिकारियों ने भी जिले के पुलिस अधिकारियों से मुलाकात करते हुए इस बात की सिफारिस की है कि उनकी ओर से एफआईआर दर्ज कर ली जाए, ताकि बीमा क्लेम मिलने पर काम आगे बढ़ सके। हांलाकि पुराने चार मामलों में अभी तक पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है, लेकिन एसपी ने थाना पुलिस को इस बारे में कुछ निर्देश दिए हैं।
एफआईआर नहीं हुई
ओएचई वायर चोरी होने और अपराधियों द्वारा काट देने पर अब तक चार केस में एफआईआर नहीं हुई है। इसके लिए एसपी साहब से हम लोगों ने मुलाकात की है, उन्होंने रामपुर पुलिस को निर्देश दिए हैं। क्लेम मिलने के बाद ही जहां से वायर चोरी हुआ या काटा गया, वहां दूसरा लगाया जाएगा।
एसके दत्ता, असिस्टेंट इंजीनियर, सीआईपीएल कोबरा जेवी
मामले सामने आए हैं
ठेका कंपनी से कुछ लोग मिलने आए थे। रामपुर क्षेत्र में चोरी और तार काटने के मामले सामने आए हैं। थाना पुलिस को जांच करने के लिए कहा है। विवेचना में जो तथ्य सामने आएंगे, उस आधार पर कार्रवाई होगी।
संजय कुमार, एसपी
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