नई दिल्ली. तिहाड़ जेल भी डिजिटल और कैशलेस हो गया है। अब तिहाड़ हाट में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है। कैदियों द्वारा तैयार की गई वस्तुएं कार्ड व मोबाइल वॉलेट के जरिये खरीदी जा रही हैं। इतना ही नहीं, कैदी अपने परिवार को चंद सेकंड में ऑनलाइन पैसा भेज सकें, इस बाबत भी ऑनलाइन व्यवस्था की गई है।
कैदियों द्वारा तैयार वस्तुएं कैशलेस खरीदी जा रही
दरअसल, तिहाड़ में कैदी खाद्य पदार्थ से लेकर कई तरह की वस्तुएं बनाते हैं। इन्हें तिहाड़ के स्टोर व बाहर अन्य स्टोर्स में बेचा जाता है। तिहाड़ में इन सामान को पुलिसकर्मी, जेल स्टाफ और कैदी कैशलेस खरीद रहे हैं। जेल के डीजी सुधीर यादव ने बताया कि कार्ड स्वाइप करने की मशीनें लगाई गई हैं। इंपोरियम का सामान भी कैशलेस ट्रांजेक्शन से खरीदा जा रहा है। उन्होंने बताया कि तिहाड़ में अब कार्ड स्वाइप करके कैदी प्रॉपर्टी अकाउंट में पैसे भेजे जा सकते हैं। अगर कैदी का परिवार दिल्ली में नहीं भी है तो सीधे उनके अकाउंट में पैसे भेजे जा सकते हैं। परिवार भी इस खाते में कैदियों को पैसा भेज सकता है।
कैदियों के लिए स्मार्ट कार्ड
तिहाड़ के एडिशनल आईजी मुकेश कुमार ने बताया कि कैदियों द्वारा कमाए गए पैसे उनके इंडियन बैंक के प्रॉपर्टी अकाउंट में जमा हो जाते हैं। कैदियों को स्मार्ट कार्ड्स दिए गए हैं। इन्हें वे महीने में 6,000 तक रिचार्ज कर सकते हैं। इससे वे जेल की कैंटीन से खाने-पीने और रोजाना के इस्तेमाल की चीजें खरीद सकते हैं। जेल प्रशासन ने हाई स्पीड इंटरनेट के लिए फाइबर केबल नेटवर्क बिछवाया है। तिहाड़ में सभी कैदियों की डीटेल डेटाबेस में स्टोर की गई है। इसे बायोमिट्रिक से जोड़ा गया है। बता दें कि कैदियों के फिंगर प्रिंट के जरिये जेल में आने-जाने से संबंधित सारी जानकारी सुरक्षित रखी जाती है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस से पेश
दोनों गेट पर विजिटर मैनेजमेंट सिस्टम बनाया गया है। यहां आने वाले लोगों को फोटो पास दिया जाता है। विजिटर की जानकारी का इस्तेमाल पुलिस जांच के लिए किया जाता है। यही नहीं, तिहाड़ में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम भी है जिसका इस्तेमाल खतरनाक कैदियों को कोर्ट में पेश करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे के जरिये गार्ड और कैदियों की चहलकदमी पर नजर रखी जाती है।