सतना। मप्र और उप्र के सीमाई इलाकों में आतंक फैलाने के बाद पुलिस को चकमा दे रहा 30 हजार रुपए का इनामी डकैत ललित पटेल दस्यु दल बनाने से पहले पान की दुकान लगाता था। मुंबई में वह करीब दो साल तक रहा और पान की दुकान चलाकर पेट भरता था। स्वभाव से चिड़चिड़े ललित का वहां विवाद होने के बाद वह अपने ननिहाल लौटा और फिर अपराध की दुनिया में कदम रखा।
अब पुलिस उस तक पहुंचने का कोई मौका हाथ से नहीं छोड़ रही। सायबर टीम के साथ एसपी राजेश हिंगणकर ललित और उसके साथियों की टोह लेने में जुटे हैं। लेकिन ललित इस फिराक में है कि वह किसी तरह कुछ दिनों के लिए तराई से बाहर चला जाए। ताकि पुलिस से बच सके। हालांकि पुलिस की खोजबीन भी अभी तक नाकाम ही रही है।
ललित के 3 भाई और 5 बहन
तराई से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, मेनहाई गांव का रहने वाला ललित पटेल अपने पिता के साथ ननिहाल पोसलहा गांव में आकर रहने लगा था। ललित तीन भाई और पांच बहन है। भाइयों में एक कुकुरखा उर्फ दादू जेल में बंद है। नंदी उर्फ नंदकिशोर पटेल अभी ललित के साथ गैंग में ही चल रहा है। ललित का पिता जोकर उर्फ सत्य नारायण पटेल भी लंबे अर्से तक पुलिस की नजर में चढ़ा रहा।
पर्दे के पीछे से हो रही मदद
सूत्रों के मुताबिक, पौसलहा लौटने के बाद ललित कई बार बबुली गिरोह के पास कैजुअल मेंबर बनकर भी रहा है। इसके बाद उसने ठोकिया के भाई दीपक पटेल से संपर्क बनाया। ठोकिया के मारे जाने के बाद गिरोह में दीपक की सक्रिय भूमिका रही। जब वह असलहा लेने जा रहा था तभी पुलिस के हत्थे चढ़ गया था। एेसी चर्चा है कि मौजूदा समय में ललित गिरोह को पर्दे के पीछे से दीपक ही ऑपरेट कर रहा है। असलहा सप्लाई करने वालों से और तराई में मददगारों से भी दीपक ने ही ललित का संपर्क कराया था।
हंसी उड़ाते थे गांव वाले
नंदी और ललित की शादी के बाद इनकी पत्नियां इन्हें छोड़कर कहीं और चली गईं। पत्नी के न लौटने पर गांव वाले दोनों का मजाक उड़ाते थे। एेसे में गांव छोड़कर वह मुंबई चला गया था। मुंबई में भी वह अपराध की दुनिया से ताल्लुक रखने वाले लोगों के संपर्क रहा।
मोबाइल का कीड़ा
जानकार बताते हैं, डकैत ललित मोबाइल फोन की खासी जानकारी रखता है। उसे यह भी पता है कि मोबाइल फोन के जरिए पुलिस उस तक कैसे पहुंच सकती है। इसलिए फोन और सिम कार्ड बदलते समय कई बार ललित फेक मैसेज पुलिस अधिकारियों को करते हुए गुमराह कर देता है।