scriptसतना में प्रशिक्षण के नाम पर पौने तीन करोड़ का फर्जीवाड़ा | Twenty thirty Crore falsified in the name of training in Satna | Patrika News

सतना में प्रशिक्षण के नाम पर पौने तीन करोड़ का फर्जीवाड़ा

locationसतनाPublished: Jan 12, 2017 10:13:00 am

Submitted by:

suresh mishra

जेडी कोष की रिपोर्ट से खुलासा, तत्कालीन कलेक्टर एसके मिश्रा भी आए लपेटे में, रसूखदार फर्म को दिया था पौने तीन करोड़ रुपए का काम, अजा-अजजा के किसानों के नाम पर भी 52 लाख रुपए का घोटाला

satna news

satna news


सतना
दलितों व आदिवासियों को प्रशिक्षण और नौकरी दिलाने के नाम पर सतना में पौने 3 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा सामने आया है। अफसरों की मिलीभगत से अकेले एक रसूखदार फर्म को पौने तीन करोड़ रुपए का काम दिया गया था। जो शर्तंे पूरी किए बिना ही भुगतान लेकर चंपत हो गई।

इस फर्जीवाड़े की आंच तत्कालीन कलेक्टर एसके मिश्रा तक भी पहुंची है। जो वर्तमान में पंचायती राज के आयुक्त के पद पर राजधानी में पदस्थ हैं। उनके कार्यकाल में किसानों के नाम पर भी 52 लाख रुपए का खेल किया गया।
यह सनसनीखेज खुलासा संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा की रिपोर्ट से हुआ है।

फर्जी आंकड़े पेश कर पूरा भुगतान करा लिया
आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा दलितों और आदिवासियों के स्वावलंबन के लिए 2.74 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। इस राशि से इन वर्गों के महिला और पुरुषों को प्रशिक्षण दिया जाना था। साथ ही यह शर्त भी रखी गई थी कि प्रशिक्षण देने वाली फर्म उनके रोजगार का भी इंतजाम करेगी। लेकिन अफसरों की मेहरबानी से थोक में काम लेने वाली गुरुकृपा शिक्षण समिति भोपाल की फर्म ने प्रशिक्षार्थियों के स्वरोजगार में लग जाने के फर्जी आंकड़े पेश कर पूरा भुगतान करा लिया। जबकि प्रशिक्षण के नाम पर केवल कुछ जगहों पर खानापूरी की गई थी। यहां तक जिस टे्रड का प्रशिक्षण बताया उसके लिए उपकरण ही नहीं मंगाए गए थे।

किसानों से भी छल

दलितों व आदिवासियों को प्रशिक्षण देने में किए फर्जीवाड़े की तरह किसानों के नाम पर भी 52 लाख रुपए से अधिक का घोटाला किया गया। यह राशि किसानों को सिंचाई के लिए पंप खरीदने और नर्सरी निर्माण में खर्च की जानी थी। लेकिन इस राशि का आहरण तो कर लिया गया लेकिन जिन किसानों को आवंटन मिलने का दावा किया उनके न तो लिखित दस्तावेज पेश किए गए और न ही उपयोगिता संबंधी रिकार्ड पाए गए। लिहाजा उद्यानिकी द्वारा खर्च की गई यह रकम संदिग्ध पाई गई है।

पात्रता नहीं फिर भी बांटा काम
गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने की इस योजना में कदम-कदम पर फर्जीवाड़ा किया गया। एक मुश्त काम पाने वाली फर्म गुरुकृपा शिक्षण समिति सिलाई व कढ़ाई के प्रशिक्षण के लिए पात्र नहीं थी, उसे आदिम जाति कल्याण विभाग से इस टे्रड के लिए पंजीयन ही नहीं किया गया था। लेकिन तत्कालीन कलेक्टर एसके मिश्रा की अध्यक्षता में हुई बैठक में नियम कायदों को दरकिनार कर अपात्र फर्म को काम दे दिया गया।

हर हितग्राही 30 हजार का भुगतान

प्रशिक्षण से लेकर कैंपस सलेक्शन के लिए फर्म को प्रति हितग्राही 30 हजार रुपए के भुगतान की दर तय की गई थी। फर्म ने फर्जी तरीके से प्रशिक्षणार्थियों की सूची तैयार की और कलेक्टर आदिम जाति कार्यालय को पकड़ा दिया। सूची का सत्यापन किए बिना ही भुगतान की अनुसंशा कर दी गई। जबकि फर्म द्वारा सिलाई कढ़ाई के लिए आवश्यक मशीनों की खरीद का बिल तक पेश नहीं किया गया था। संयुक्त संचालक कोष और लेखा ने रिपोर्ट में माना है कि फर्मो से अनुबंध से लेकर 2.74 करोड़ तक के भुगतान तक सबकुछ संदिग्ध पाया गया है। जिसके लिए कलेक्टर आदिम जाति कार्यालय के अधिकारी जिम्मेदार हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो