क्या एलियंस का अस्तित्व है?
सवाल जो सदियों से इंसान को उलझाए हुए है कि क्या वाकई में पृथ्वी के अलावा भी कहीं जीवन है? और क्या एलियंस का अस्तित्व होता है? वैज्ञानिकों में इसे लेकर मतभेद हैं। एक वर्ग का मानना है, जी हां, एलियन का अस्तित्व है, लेकिन इंसानों को उनके संपर्क से परहेज करना चाहिए। धरती के अलावा निश्चिततौर पर जीवन है। वहीं दूसरा वर्ग एलियंस और दूसरे ग्रह पर जीवन की कल्पना से इनकार करता है। उनका कहना है कि यह बात लगातार कही जा रही है कि एलियन हैं, लेकिन आज तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है।
फिल्मों में भी छाया एलियंस
यूएफओ या उड़नतस्तरी को लेकर हमेशा से मानव समाज उत्साहित रहा है। इंसानों की कल्पनाओं में इन चीजों के प्रति खास आकर्षण देखने को मिलता है। शायद इसीलिए ही ये सारी चीजें किताबों से लेकर टीवी शो और फिल्मों छाई रहीं। आम आदमी की रूचि दूसरे ग्रहों के प्राणियों के बारे में जानने की रही है। लगभग यही क ौतूहल दूसरे ग्रह के प्राणियों या एलियंस में भी होती है। कई हिंदी फिल्मों में आपने नायक के साथ एलियंस की दोस्ती के मजेदार अनुभव आपने भी देखे होंगे।
दुनिया के चर्चित मामले
अमेरिका
पहली बार यूएफओ का मामला 1947 में अमेरिका में सामने आया। एविएटर कैनेथ अर्नाल्ड ने 24 जून दावा किया था कि उन्होंने आसमान में उड़ती हुई किसी अज्ञात चीज को देखा है।
जापान
जापान बोइंग 747 विमान और कार्गो परिवहन में 1986 में यूएफओ देखने की बात सामने आई थी। विमान के कुछ मेंबर्स ने टोक्यो में दो अज्ञात वस्तुओं के दिखने की बात स्वीकारी थी। फिर यह हमेशा की तरह शोध शामिल हुआ।
मैक्सिको
1947 में ही मैक्सिकों के रोसवेल में यूएफओ का मामला काफी चर्चा में रहा। इसके दुघर्टनाग्रस्त होने की बात सामने आई, लेकिन पुख्ता सबूत नहीं मिले कि यह यूए फओ ही था।
कोलकाता
कोलकाता में भी अक्टूबर 2007 में एक प्राइवेट कंपनी के सीनियर एग्जीक्यूटिव ने इसे देखने का दावा किया था। उन्होंने वीडियो बनाने का दावा भी किया था और उसे एमपी बिरला और प्लानेटेरियम डीपी डौरी को दिखाया भी था।
स्टीफन हॉकिंस का दावा
मनुष्य के लिए रहने का नया ठिकाना क्या होगा? इस सवाल का जवाब प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस ने खोज लिया है। उनका दावा है, अब मनुष्य अपनी दुनिया मंगल ग्रह पर बसाएगा। ब्रह्मांड के कई रहस्यों को सुलझाने वाले इस वैज्ञानिक का कहना है कि मनुष्य के लिए जरूरी है कि वह पूरे ब्रह्मांड में फैले ताकि धरती के नष्ट होने की सूरत में हमारे पास विकल्प मौजूद हो। हॉकिंस का कहना है कि लगभग तय है कि करीब सौ साल में परमाणु युद्घ या ग्लोबल वार्मिग धरती को नष्ट कर देंगे, इ सलिए आवश्यक है कि हम अंतरिक्ष में कहीं अपना ठिकाना खोज लें।