scriptलिखने और बोलने में फर्क करता है मस्तिष्क | Brain distinguishes between writing and speaking | Patrika News

लिखने और बोलने में फर्क करता है मस्तिष्क

Published: May 07, 2015 10:12:00 am

लिखने की
क्षमता का विकास भले ही बोलने की क्षमता से हुआ है, लेकिन लिखने तथा बोलने की
प्रक्रिया मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों द्वारा संचालित होती है

Speaking

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न्यूयॉर्क। क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग शुद्ध रूप से एक वाक्य भले ही न लिख पाएं, लेकिन बोलने में वे कोई अशुद्धि नहीं करते हैं। ऎसा इसलिए है, क्योंकि मस्तिष्क में लिखने तथा बोलने के लिए अलग-अलग प्रणाली है। एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है।

अमरीका के जॉन हॉपकिंस युनिवर्सिटी में प्रोफेसर तथा मुख्य शोधकर्ता ब्रेंडा रैप ने कहा, किसी व्यक्ति द्वारा कहने के लिए कोई और शब्द जबकि लिखने के लिए किसी और शब्द का इस्तेमाल बेहद चौंकाने वाला था। हमें इसकी उम्मीद नहीं थी कि वे लिखने व बोलने के लिए विभिन्न शब्दों का इस्तेमाल करेंगे।

रैप ने कहा, यह उस तरह है, जैसे मस्तिष्क में दो अर्ध स्वतंत्र भाषा प्रणाली हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि ऎसा संभव है कि मस्तिष्क का बोलने वाला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाए, लेकिन लिखने वाला हिस्सा अप्रभावित रहे। शोध दल ने बोलने में परेशानी वाले स्ट्रोक के शिकार पांच पीडितों पर अध्ययन किया।

इनमें से चार लोगों को वाक्यों को लिखने में परेशानी आ रही थी, जबकि उसी वाक्य को बोलने में उन्हें कोई खास समस्या पेश नहीं आ रही थी। अंतिम व्यक्ति की समस्या उलटी थी। उसे बोलने में दिक्कत आ रही थी, लेकिन वह धड़ल्ले से लिख पा रहा था।

निष्कर्ष में इस बात का खुलासा हुआ कि मानव की लिखने की क्षमता का विकास भले ही बोलने की क्षमता से हुआ है, लेकिन लिखने तथा बोलने की प्रक्रिया मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों द्वारा संचालित होती है। यह अध्ययन पत्रिका “साइकोलॉजिकल साइंस” में प्रकाशित हुआ है।
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