चीन के वैज्ञानिकों ने फोटॉन कणों को टेलीपोर्ट करने की आइडिया पर गुप्त रूप से काम किया था। इस प्रयास में उन्हें पृथ्वी की कक्षा में जमीन से 1000 से 1400 किलोमीटर दूर स्थित सैटेलाइट तक फोटॉन के एक कण को टेलीपोर्ट करने में सफलता मिली है। भौतिक वैज्ञानिकों के लिए यह एक चौंकाने वाली घटना है। क्योंकि अभी तक क्वांटम इंटरनेट को विज्ञान की दुनिया में एक फिक्शन के रूप में लिया जाता रहा है, जो हकीकत में तब्दील होने के करीब है। पृथ्वी की कक्षा में फोटॉन को टेलीपोर्ट करने की अपने आप में यह पहली घटना है।
सूचनाओं को सुरक्षित रखना संभव
इस सफलता के बाद वैज्ञानिकों के बीच उम्मीद जगी है कि क्वांटम कंप्यूटर नेटवर्क को विकसित करना संभव होगा। आगामी दशकों में सूचनाओं के असंख्य तंत्र को हैक प्रूफ बनाने में भी सफलता मिल सकती है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इयान वॉलम्सली का कहना है कि ऐसा हुआ तो संवेदनशील सूचनाओं, शोध व अनुसंधान के आंकड़ों, वित्तीय, बैंकिंग व चुनावी सूचनाओं व सिक्रेट डेटा ट्रांसफर का सुरक्षित स्थानांतरण व भंडारण करना संभव होगा। इससे दुनिया बड़ी टेंशन से बच जाएगी।
फैक्स मशीन की तरह करती है काम
क्वांटम इन्टैंगल पार्टिकल्स टेलीपोर्टेशन की प्रक्रिया फैक्स मशीन की तरह काम करती है। जैसे फैक्स मशीन पेपर को न भेजकर सेंडर की ओर से भेजी गई जानकारी रिसीवर को प्रिंट फॉर्म में उपलब्ध कराती है, उसी तरह वैज्ञानिकों ने क्वांटम फोटॉन कणों को समान अवस्था में जमीन से पृथ्वी की कक्षा में भेजने का कारनामा कर दिखाया है, जिसे चमत्कार माना जा रहा है।
क्वांटम फोटॉन इन्टैंगलमेंट
एक ही समय में फोटॉन के ट्विन पार्टिकल्स का निर्माण कर उसे अलग-अलग स्थानों भेजने और संपर्क में बनाए रखने की जटिल प्रक्रिया को क्वांटम फोटॉन इन्टैंगलमेंट कहा जाता है। इसकी खासियत यह है कि ट्विन के कण अलग होने पर एक ही अवस्था में बने रहते हैं और तीसरे कणों से टकराने पर भी समान स्वभाव बनाए रखते हैं।
फोटॉन टेलीपोर्टेशन पर क्यों किया काम
दुनियाभर के वैज्ञानिकक्वइस पर काम कर रहे थे, पर लंबी दूरी तक सूचनाओं के सुरक्षित भंडारण को लेकर जरूरी तकनीक का अब तक विकास नहीं कर पाए थे। चीन के वैज्ञानिकों ने फोटॉन इन्टैंगलमेंट में सफलता की दर ज्यादा होने की संभावनाओं को देखते हुए इस काम किया और उन्हें प्रारंभिक सफलता मिली। अब दुनियाभर के वैज्ञानिकों का अगला लक्ष्य मानव टेलीपोर्टेशन है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा है मानव शरीर में मौजूद खरबों एटॉम का एनालिसिस करना। दूसरा इसका जेरॉक्स कॉपी की तरह काम करना, जिसमें मूल परमाणु नष्ट हो जाते हैं।
कैसे होता है एक कण टेलीपोर्ट
जब दो जटिल फोटॉन पार्टिकल्स से तीसरा पार्टिकल्स टकराता है तो उसमें एक नया परिवर्तन होता है। इस परिवर्तन के लक्षण समान रूप से पहले के दोनों पार्टिकल्स में दिखता है। यानी पहले के ट्विन पार्टिकल आपस में लिंक होने के बाद तीसरे के लक्षणों को पूरी तरह से अपने अंदर विकसित कर संपर्क में बने रहते हैं।
उम्मीद से ज्यादा बेहतर परिणाम
वियना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एंटोन जीलिंगर का कहना है कि उन्हें इस सफलता की उम्मीद नहीं थी। अब इसके जरिए एन्क्रिप्टेड जानकारी को भेजकर उसे क्वांटम तरीके से रिफ्रेश करना भी संभव है।
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