अवसाद का संबंध दिमाग के साथ-साथ शरीर से भी है। हाल में हुए शोध में अवसाद ग्रसित एक तिहाई लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली को अति सक्रिय पाया गया। अवसाद और शरीर के बीच सबंध पूरी तरह सही साबित होता है तो यह 20 सालों में मनोविज्ञान की सबसे बड़ी सफलता होगी।
अवसाद को आमतौर पर एक दिमागी समस्या माना जाता है, जबकि इसका संबंध शरीर से भी है। ऐसा दावा है कुछ वैज्ञानिकों का। उन्होंने कहा, जो दवाइयां बेहद सक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली को शांत करने के काम आती हैं उनका ही प्रयोग अवसाद में किया जा सकता है।
हाल ही में हुए एक शोध में अवसाद से ग्रसित एक तिहाई लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली को अति सक्रिय पाया गया। एक अनुमान के मुताबिक पूरी दुनिया में लगभग 35 करोड़ लोग अवसाद से पीडि़त हैंं।
लंदन स्थित किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर कारमिने परियंते के मुताबिक किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली और दिमाग की कार्यशैली के बीच अगर कोई कड़ी बनती है तो इससे पिछले 20 सालों में मनोरोग विज्ञान के क्षेत्र में हुए सबसे अहम खोजों में से एक माना जाएगा।
प्रोफेसर परियंते के मुताबिक पहली बार अवसाद में दिमाग और शरीर का संबंध सामाने आया है। यह बेहद महत्वपूर्ण कड़ी है। दोनों के आपसी संबंध स्थापित हो जाए तो यह इंसानों में अवसाद को ठीक करने में एक क्रांतिकारी भूमिका निभा सकता है।
भारत में 36 % भारतीय अवसाद ग्रस्त
भारत में अवसाद को अभी तक गंभीर समस्या के रूप में भले ही चिन्हित न किया जा सका हो लेकिन आंकड़ों पर नजर डालें तो ये बहुत कुछ कहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक 36त्न भारतीय गंभीर रूप से अवसाद ग्रस्त हैं। महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग कर दिया जाए तो हर 10 में से एक पुरुष अधिक लोग गंभीर रूप से अवसाद ग्रस्त हैं। वहीं इस मामले में महिलाओं की स्थिति और भी भयावह है। प्रत्येक पांच में से एक महिला अवसाद ग्रस्त है।
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