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भारत में अब MBPS नहीं, 10 GBPS की स्पीड से चलेगा इंटरनेट

Published: May 28, 2015 09:30:00 am

Submitted by:

Anil Kumar

देसी जीपीएस “गगन” हुआ ऑपरेशनल, ऎसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश

Gagan Satellite

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नई दिल्ली। इसरो, अहमदाबाद स्थित अपने स्पेस ऎप्लिकेशन सेंटर पर 4,000 किलोग्राम का एक संचार उपग्रह बना रहा है। अगले साल प्रक्षेपित होने वाले देश के सबसे उन्नत संचार उपग्रह से देश में इंटरनेट की रफ्तार 10 जीबीपीएस तक बढ़ जाएगी। संचार उपग्रह जीसैट-11 का परीक्षण शुरू कर दिया है। 4 टन वजनी यह उपग्रह 150 ट्रांसपोंडरों की क्षमता के बराबर काम करेगा। 2.8 मीटर व्यास के चार एंटीना होंगे जबकि केए और केयू बैंड के 40 ट्रांसपोंडर लगे हैं।

अब सीधी रेखा मार्ग में उड़ान भरेंगे विमान
बेंगलूरू ञ्च पत्रिका . नेविगेशन सेवाओं के लिए अब विदेशी उपग्रहों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। इसरो ने स्वदेशी जीपीएस यानी “गगन” (जीपीएस एडेड जियो ऑगमेंटेड नेविगेशन) प्रणाली को ऑपरेशनल कर दिया गया है। इससे देश के विशाल हवाई क्षेत्र, पड़ोसी देशों और आसपास के उच्च समुद्री क्षेत्रों में उपग्रह आधारित हवाई नौवहन सेवाओं के संचालन में मदद मिलेगी।

ऎसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) द्वारा संयुक्त रूप से लगभग 774 करोड़ रूपए की लागत से विकसित इस प्रणाली के ऑपरेशनल होते ही अमरीका, यूरोप और जापान के बाद भारत विश्व का चौथा ऎसा देश हो गया है जिसके पास उपग्रह आधारित संवर्धन प्रणाली (एसबीएएस) है। वहीं गगन प्रणाली पहला एसबीएएस है जो विषुवतीय क्षेत्रों में भी सेवाएं देगा।

अन्य देशों को भी मदद
गगन प्रणाली से न केवल भारत को, बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया से अफ्रीका, पश्चिमी एशिया, आस्ट्रेलिया चीन और रूस के बीच भी हवाई यातायात को मदद मिलेगी।

घटेगी वायु दूरी
अब तक भारत में विमान भू-स्थित रडार के सहारे ही उड़ान भरते थे जो सीधी रेखा में नहीं होते थे। गगन से वायुयान सीधी रेखा मार्ग में उड़ान भर सकेंगे और वायु दूरी घटेगी। साथ ही ईंधन की बचत होगी। यह कोहरे और बारिश में भी जहाजों को उतरने में मदद करेगा। मौजूदा समय में विमान से 100 मीटर दूर कोई दूसरा वायुयान या अन्य कोई चीज हो तो उसे पहचान लिया जाता है। इससे यह दूरी 7.5 मीटर तक आ जाएगी।

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