शोधकर्ताओं ने 15वीं शताब्दी की एक पेटिंग में ट्यूमर के लक्षणों की खोज की है। इस यह स्पष्ट हो गया है कि 15वीं शताब्दी में भी मल्टीसिस्टम जेनेटिक डिसऑर्डर से लोगों की मौत होती थी।
न्यूयॉर्क। शोधकर्ताओं ने इटली के मांटुआ शहर में बनाई गई 15वीं शताब्दी की एक पेटिंग में ट्यूमर के लक्षणों की खोज की है। इस खोज के बाद अब यह लगभग स्पष्ट हो गया है कि 15वीं शताब्दी में भी मल्टीसिस्टम जेनेटिक डिसऑर्डर से लोगों की मौत होती थी। हालांकि, आनुवांशिक विकारों से होने वाली बीमारियों की खोज को अभी 80 साल से ज्यादा नहीं हुए हैं। ऐसे में इस नए शोध को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
लैसेंट में प्रकाशित हुआ है शोध
यह शोध हाल ही में लैसेंट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस पेटिंग में उन्हें न्यूरोफ़िब्रोमटोसिस टाइप 1 (एनएफ1) के लक्षण पाए गए हैं। यह एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो गुणसूत्र 17 में होने वाले जीन परिवर्तन की वजह से होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि पेटिंग वाली महिला में इस बीमारी के लक्षण पाए गए हैं।
एंड्रिया मैन्टेग्ना ने बनाई थी पेटिंग
यह पेटिंग लुडोविको गौनज़ैगा की है। उनकी मौत 38 साल की उम्र में इटली के मांटुगा शहर में 1478 में हुई थी। इस पेंटिंग को एंड्रिया मैन्टेग्ना (1431-1606) ने बनाया था। एंडिया के बनाई गई यह पेटिंग यथार्थवादी है। इसमें ऐसा लग रहा है कि पेटिंग वाली महिला जीवित है और सांस ले रही है। मानवविज्ञानी राफेल्ला का कहना है, अभी हम पूरी तरह से यह बात नहीं कह सकते हैं कि इस महिला की मौत एनएफ1 बीमारी से हुई थी। हमारे शोध में पता चला है कि इस पेटिंग वाली महिला को एनएफ1 बीमारी के लक्षण पाए गए हैं।