एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशकों में जंगलों का क्षेत्रफल 10 प्रतिशत सिकुड़ गया है। 1993 से अब तक धरती से अलास्का के दुगुने क्षेत्रफल के बराबर के जंगल व पशुपक्षियों की रिहाइश नष्ट हुई है।
इंसान की बढ़ती जरूरतों ने पिछले पिछले दो दशक में लगभग 10 प्रतिशत वनक्षेत्रों का विनाश कर दिया है। यह दावा हाल की एक स्टडी में किया गयास है। स्टडी रिपोर्ट के अनुसार 1993 से अब तक धरती से अलास्का के दुगुने क्षेत्रफल के बराबर के जंगल व पशुपक्षियों की रिहाइश को इंसान ने खत्म कर दिया है। इस तरह अब धरती पर सिर्फ 23 प्रतिशत जंगल शेष रह गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय रिसर्चरों की टीम ने किया अध्ययन
स्टडी करने वाली अंतरराष्ट्रीय रिसर्चरों की टीम के मुताबिक, इस गति से वनक्षेत्रों का धरती से खत्म होना वैश्विक स्तर पर प्रकृति परिवर्तन के लिए बड़ा कारक सिद्ध होगा। स्टडी करने वाली अंतरराष्ट्रीय रिसर्चरों की टीम के अनुसार, धरती से निरंतर वनक्षेत्रों का खत्म होना, वैश्विक स्तर पर प्रकृति के लिए बड़ा बदलाव साबित होगी।
घटा अमेजन के जंगलों का अकार
स्टडी के दौरान रिसर्चरों ने पाया कि सैकड़ों सालों से अमेजन और मध्य अफ्रीका के मानव संपर्क से अछूते माने जाते रहे जंगल भी अतिक्रमण से प्रभावित हैं। अमेजन के जंगलों का अकार 1993 से अब तक 3.3 वर्ग किलोमीटर तक घट चुका है। जबकि मध्य अफ्रीका से 14 प्रतिशत जंगलों का विनाश हो चुका है।
धरती से 30.1 मिलियन जंगल खत्म
रिसर्चरों ने गणना के बाद निष्कर्ष निकाला अभी तक धरती से 30.1 मिलियन जंगल खत्म हो चुके हैं। रिसर्चरों ने पाया कि धरती से सबसे अधिक जंगलों का विनाश उत्तरी अमरीका, उत्तरी एशिया, उत्तरी अफ्रीका और आस्ट्रेलियन कंटीनेंट से हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, 10000 वर्ग किलोमीटर से छोटे जंगलों को बचाना अधिक कठिन है। क्योंकि उसके इकोलाजिकल आंकड़ों को सही-सही पढऩा बेहद मुश्किल है।
टीम ने उदाहरण के तौर पर वन संरक्षण के दो कार्यक्रक्रम का उल्लेख किया, जो कि भविष्य में बड़े बदलाव के कारक के रूप में काम कर सकते हैं। उनमें से एक है, ब्राजील का अमेजन रीजन प्रोटेक्टेड एरियाज प्रोग्राम। इसका उद्देश्य टिकाऊ प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करना है।