ऎसे हुआ कारनामा
विभाग के सर्जन डॉ. पीएस भंडारी के मुताबिक यह आर्टिफिशियल कान है, जिसे हमने मरीज की बांह पर उसके ही शरीर के ऊतकों से विकसित किया है। इसके लिए त्वचा के साथ छाती की पसली निकाली गई, फिर उसे तराश कर कान का फ्रेमवर्क बनाया। यह प्रयोग 22 साल के एक युवक पर किया, जिसके दोनों कान जल गए थे। इसके कान बनाने के लिए हमारे पास त्वचा उपलब्ध नहीं थी। ऎसे में पांच-छह माह में कई चरणों में अब इसे पूरा कर पाए।
पहला चरण : छाती से तीस पसलियां निकालीं, जो कि मुलायम हड्डी की तरह होती हैं। फिर मशीन के जरिए इनसे कान का फ्रेमवर्क बनाया।
दूसरा चरण : शुरू में कोशिकाओं को फैलाने वाला इंजेक्शन हाथ में डाला था। इससे गुब्बारे सा उभार आ जाता है। बाद में इसे निकालकर कान का फ्रेमवर्क डाला।
तीसरा चरण : धीरे-धीरे गुब्बारे की जगह कान का आकार बन जाता है। फिर हाथ से इस कान को निकालकर सही जगह लगा दिया जाएगा।